Economics Chapter 5 रोजगार एवं सेवाएँ

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions) :

प्रश्न 1. बाह्य स्रोती (Out Sourcing) किसे कहते हैं?

उत्तर- बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ या अन्य कम्पनियाँ सम्बद्ध नियमित सेवाएँ स्वयं अपनी कम्पनी के बजाय किसी बाहरी या विदेशी स्रोत से संस्था या समूह से प्राप्त करती हैं। ऐसी सेवाओं को बाह्य स्रोती (Out Sourcing) कहा जाता है। यह क्रिया प्रौद्योगिकी के व्यापक प्रसार में काफी महत्त्व की हो जाती है ।

प्रश्न 2. सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) से जुड़े पाँच सेवा क्षेत्रों को बताएँ ।

उत्तर- सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) से जुड़े पाँच सेवा क्षेत्र निम्नांकित हैं : (i) टेलीफोन, (ii) फैक्स, (iii) इन्टरनेट, (iv) मोबाइल फोन तथा (v) टेलीविजन ।

प्रश्न 3. सरकारी सेवा किसे कहते हैं?

उत्तर- देश या राज की सरकारों के अपने कार्यों के सम्पादन के लिए नागरिको से सेवा खरीदनी पड़ती है। इस प्रकार सरकार द्वारा कराए कार्य को सरकारी सेवा कहते। हैं। सरकारी सेवा क्षेत्र में अनेक सेवाएँ हैं । जैसे : (i) प्रशासनिक सेवा, (ii) सैन्य सेवा, (ii) रेल सेवा, (iv) वायुयान सेवा, (v) शिक्षा सेवा, (vi) अभियंत्रण सेवा, (vii) बस सेवा (viii) स्वास्थ्य सेवा, (ix) वित्त सेवा तथा. (x) बैंकिंग सेवा आदि ।

प्रश्न 4. गैर-सरकारी सेवा किसे कहते हैं?

उत्तर- सरकारी सेवा से इतर सेवाएँ आम नागरिकों द्वारा खरीदी जाती हैं, वे गैर- सराकारी सेवा कहलाती है। कृषि क्षेत्र में काम करना पूर्णतः गैर-सरकारी सेवा है। इसी प्रकार निजी कल-कारखानों में काम करना तथा स्वरोजगार चलाना इत्यादि सब गैर- सरकारी सेवाएँ हैं। बस, ट्रक, टैक्सी जैसी यातायात सेवाएँ तथा किसी डॉक्टर द्वारा निजी क्लीनिक चलाना, ये सब गैर-सरकारी सेवा हैं।

प्रश्न 5. आधारभूत संरचना किसे कहते हैं?

उत्तर-आधारभूत संरचना को दो भागों में रखा गया है। पहला आर्थिक तथा दूसरा गैर-आर्थिक । आर्थिक आधारभूत संचनाएँ में चार क्षेत्र आते हैं: (i) वित्त (बैकिंग), (ii) ऊर्जा, (iii) यातायात तथा (iv)संचार । इसी प्रकार गैर आर्थिक आधारभूत संरचना में तीन क्षेत्र आते हैं। वे हैं: (i) शिक्षा, (ii) नागरिक सेवा तथा (iii) स्वास्थ्य ।

प्रश्न 6. ‘रोजगार’ तथा ‘सेवा’ में क्या सम्बन्ध है ?

उत्तर-‘रोजगार’ से तात्पर्य वैसे काम से है जिसे कोई व्यक्ति अपनी पूँजी या बैंक से ऋण लेकर चलाता है। रोजगार से यह निश्चित नहीं है कि आय प्राप्त होगी ही, संस्थाओं में काम करके आय प्राप्त करना ‘सेवा’ है। सेवा में आय निश्चित होती है। कारण कि इसमें कभी-कभी घाटा भी उठाना पड़ता है। किसी सरकारी या गैर-सरकारी इसमें घाटा की कोई आशंका नहीं रहती ।

प्रश्न 7. आर्थिक संरचनाओं का क्या महत्त्व है ?

उत्तर- देश के आर्थिक विकास में सहायता मिलती है, उसे आर्थिक संरचना’ कहते हैं। इस क्षेत्र में वित्तीय संस्थाओं का अधिक महत्त्व है। बैंकिंग सेवा इसमें सर्वाधिक ऊपर है । इनके अलावे राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय वित्त निगम हैं । इन सबके केन्द्र में ‘रिजर्व बैंक’ का स्थान सर्वोपरी है । यह सभी वित्तीय संस्थाओं पर नजर रखता है।

प्रश्न 8. मंदी का असर भारत में क्या पड़ा ?

उत्तर- मंदी का असर भारत में पड़ा, किन्तु बहुत ही कम । इसका करण है कि भारत का पूँजी बाजार काफी मजबूत अवस्था में है । यहाँ के इंजीनियर आज बाह्य स्रोती बने हुए हैं। विदेशों में इनकी सेवा की काफी माँग है। सूचना प्रौद्योगिकी में आज भारत बहुत आगे है। इन्हीं सब कारणों से भारत का आधारभूत संरचना कमजोर रहने के बावजूद विश्व में आई आर्थिक मंदी का प्रभाव पड़ा, लेकिन बहुत ही कम । महँगाई बढ़ी, लेकिन केन्द्रीय सरकार के गैर-जिम्मेदार निर्णयों के कारण, मंदी से नहीं ।

प्रश्न 9. वैश्वीकरण का सेवा क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर- वैश्वीकरण का सेवा क्षेत्र पर यह प्रभाव पड़ा कि अपनी सेवा बेचने वालों को अपने देश के अलावे विश्व के अन्य देशों में भी काम मिलने लगा है। लोगों को दूसरे देशों में जाकर रोजगार करने या रोजगार प्राप्त करने का खुला अधिकार प्राप्त हो गया। विकसित देशों में भी भारतीय मूल के वैज्ञानिकों को काम करने का मौका मिल गया है। भारतीय वैज्ञानिक तीव्र बुद्धिवाले तथा कम वेतन पर भी अच्छा काम करके विदेशों में अपनी जगह बनाने में पूरी तरह से सफल होने लगे हैं। यह वैश्वीकरण का ही प्रभाव है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions) :

प्रश्न 1. सेवा छेत्र पर एक संक्षिप्त लेख लिखे ।

उत्तर- सेवा क्षेत्र रोजगार का एक व्यापक क्षेत्र है। चाहे वह कृषि क्षेत्र हो या उद्योग क्षेत्र – सभी क्षेत्रों में सेवा के लिए मानव संसाधन की आवश्यकता पड़ती है। आज हम देखते हैं कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 50 प्रतिशत सेवा क्षेत्र ही प्रदान करता है। af 2007-08 आर्थिक वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद 68.6 प्रतिशत तक हो गया था।2006-07 में यह 55.1 प्रतिशत था । विश्व में विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में बेरोगजार लोगों की संख्या अधिक है। ऐसे ठीक ही कहा जाता है कि विश्व की जनसंख्या का दो तिहाई भागऐसे भू-भाग में बसता है, जो गरीब और विपन्न क्षेत्र हैं। विकासशील देशों में जनसंख्या का आधिक्य होता है। वहाँ उत्पादन के साधन लगभग कार्यशील नहीं होते। सेवा क्षेत्र का विस्तार कर वहाँ की स्थिति सुधारी जा सकती है। सेवा क्षेत्र के विस्तार के लिए शिक्षा का प्रसार आवश्यक है। शिक्षा का अर्थ केवल साक्षर करना भर नहीं होता, जैसा कि आज बिहार की सरकार प्राइमरी या मिड्ल स्कूल तक की पढ़ाई पूरी करा देने भर को शिक्षा मान बैठी है। इन वर्गों के छात्रों को मुफ्त में पुस्तकें, एक समय मुफ्त भोजन देकर शिक्षा को और भी सस्ता कर दिया गया है। सस्ती वस्तुओं की तरह यह सस्ती शिक्षा भी किसी काम की नहीं होती । शिक्षा का अर्थ यह होना चाहिए कि शिक्षा प्राप्त कर छात्र किसी काम में निपुण हो जाय । उसमें विशेषज्ञता प्राप्त कर ले। केवल साक्षर बनाकर पता नहीं सरकार उन्हें क्या बनाना चाहती है ? यह दूसरी बात है कि अधिक-से-अधिक जीनियस बिहार से ही निकलते हैं, लेकिन यह अपने बल पर, सरकारी प्रयास से नहीं। बिहार में जो विशेषज्ञ बनते हैं, उतने तक को सरकार काम नहीं दे पाती। फलतः उन्हें देश के अन्य राज्यों याbविदेशों की शरण लेनी पड़ती है ।

प्रश्न 2. भारत विश्व को सेवा प्रदाता के रूप में विख्यात कैसे है? उदाहरण सहित लिखें ।

उत्तर- भारत विश्व को एक अच्छा सेवा प्रदाता के रूप में विख्यात है। भारत एक ऐसा देश है, जहाँ प्राचीन धरोहरों की एक श्रृंखला है। इसके अलावा श्रीगनर, शिमला, नैनीताल, ऊँटी, मनाली आदि अनेक ऐसे स्थान हैं, कि इस ओर पर्यटक खींचे चले आते हैं। भारत में कुछ ऐसे राज्य हैं, जो अपने-अपने क्षेत्र में विश्व में अकेला है। जैसे राजस्थान के मरक्षेत्र में ऊँट और केरल में हाथी। इन स्थानों पर विश्व के कोने-कोने से जो पर्यटक आते हैं, पहले तो उन्हें यातायातbकी सुविधा चाहिए, जो भारत में हर प्रकार के यातायात के साधन मौजूद हैं। हवाई यात्रा हो या सड़क, रेल या जल यातायात सब यहाँ विकसित हैं और देश के अधिक संख्या के लोग इन सेवाओं को प्रदान करने के लिए तत्पर रहते हैं ।सेव यातायात के अलावे संवाद वहन के साधनों की भी यहाँ भरमार है। जहाँ जाइए वहाँ आपको IST सेवा उपलब्ध होगी । यहाँ तक कि सड़कों के किनारे चाय की दुकानों, ढाबाbया छोटी-छोटी जेनरल स्टोर्स जैसी दुकानों पर भी यह सेवा उपलब्ध है। इन स्थानों से कोई विश्व के किसी कोने से बात कर सकता है और संवाद सम्पर्क कायम कर सकता है। इस काम के लिए मोबाइल फोन हाथ में लिए घूमा जा सकता है। भारत में इन विदेशी पर्यटकों को ठहरने के लिए स्थान-स्थान पर होटलों और मोटलों की भरमार है। आज की उदारवादी नीतियों के कारण पर्यटन होटलों में जाना, रहना, खाना, घूमना-फिरना, सैर-सपाटा और भ्रमण आसान हो गया है। खरीदारी और अस्पतालों में चिकित्सा सेवा की कमी नहीं है। ये सेवाएँ नगरों और महानगरों में बहुतायत से प्राप्त है। इस प्रकार हम देखते हैं कि भारत विश्व को सेवा प्रदाता के रूप में विख्यात है। इससे विदेशी मुद्रा आती है, जिसके अंतर्राष्ट्रीय बाजार से आवश्यकता की वस्तुएँ आयात की जा सकती है। आए दिन विदेशी मुद्रा के भाव बढ़ते रहते हैं।

प्रश्न 3. सेवा क्षेत्र में सरकारी प्रयास क्या किए गए हैं? वर्णन करें ।

उत्तर- जब देश या राज्य की सरकारें अपने नागरिकों को काम के बदले मासिक वेतन देती हैं तो इसे सेवा क्षेत्र में सरकारी प्रयास कहते हैं। सरकारी सेवा का क्षेत्र व्यापाक है। उदाहरण हैं : (i) प्रशासनिक सेवा, (ii) सैन्य सेवा, (iii) शिक्षा सेवा, (iv) स्वास्थ्य सेवा, (v) अभियंत्रण सेवा, (vi) बैंकिंग सेवा आदि । (i) प्रशासनिक सेवा-सरकार के वास्तविक संचालक ये प्रशासनिक सेवा से सम्बद्ध अफसर ही होते हैं। इन्हीं की कही बातों पर मंत्रीगण अपनी नीति बनाते हें। किसी जिले का कलक्टर या जिलाधीश प्रशासनिक सेवा से ही आते हैं। (ii) सैन्य सेवा-सैन्य सेवा को तीन भागों में रखा गया है : (i) स्थल सेना (army), (ii) जल सेना (navy) तथा वायु सेवा (air force)। इन तीनों भागों में अधिक संख्या में लोगों को नौकरी प्राप्त है। सैन्य सेवा देश की सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्व की (iii) शिक्षा सेवा — शिक्षा सेवा से हर प्रकार और हर क्षेत्र के विशेषज्ञ बनते हैं औरअपनी सेवा देते हैं। सैन्य सेवा हो या अभियंत्रण, डॉक्टरी हो या व्यापार क्षेत्र,यहाँ तकशिक्षा-सेवक को भी शिक्षा सेवा से ही शिक्षा मिलती है। (iv) स्वास्थ्य सेवा — गाँवों में प्राथमिक चिकित्सा, ब्लॉकों में रेफरल अस्पताल, जिलों में जिला अस्पताल तथा राज्य की राजधानी में अनेकानेक अस्पतालों की स्थापना से लेकर उन्हें संचालित करने का भार सरकार के कंधों पर है। वहाँ चिकित्सा के साथ मुफ्त दवा भी दी जाती है।. (v) अभियंत्रण सेवा-देश और राज्यों में जितने राजकीय या सरकारी भवन हैं उन्हें अभियंत्रण सेवा के इंजीनियर ही बनवाते हैं। ब्लॉक भवन हो या थाना भवन, जिले के सभी राजकीय भवन, विधायकों या सांसदों के आवास भी बनवाने या उनकी मरम्मती का भार इंजीनियरों पर ही रहता है (vi) बैंकिंग सेवा—बैंकिंग सेवा देश के आर्थिक विकास के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। व्यापारिक या औद्योगिक क्षेत्रों के विकास में बैंकों का महत्त्वपूर्ण हाथ होता है। ये इन्हें वित्त सेवा भी प्रदान करते हैं। बैंकों से आम जनता भी सेवा ले सकती है।

प्रश्न 4. “गैर-सरकारी संस्था किस प्रकार सेवा क्षेत्र के विकास को सहयोग करता है ।” उदाहरणसहित लिखें। उत्तर- गैर-सरकारी संस्थाएँ अनेक प्रकार से सेवा क्षेत्र के विकास में सहयोग करती हैं।

जैसे : (i) दूरसंचार सेवा, (ii) यातायात सेवा, (iii) स्वास्थ्य सेवा, (iv) स्वरोजगार सेवाएँ तथा (v) अन्य गैर-सरकारी सेवाएँ । (i) दूरसंचार सेवा – दूरसंचार सेवा में सरकारी विभाग तो काम करता ही है, लेकिन गैर-सरकारी संस्थाओं के इस क्षेत्र में आ जाने से दूरसंचार बहुत ही सस्ता हो गया है। सरकारी B.S.N.L. और M.T.N.L. के अलावा ऐयरटेल, बोडा फोन, टाटा फोन, रिलायंस स्मार्ट, रीम इत्यादि अनेक प्रतिद्वंद्वी इस क्षेत्र में विकास कर रहे हैं। (ii) यातायात सेवा–यातायात सेवा में तो सरकार का एकाधिकर है, किन्तु गैर- सरकारी संस्थाएँ भी इस क्षेत्र के विकास में लगी हुई हैं। बस, टैक्सी, नौकायन आदि क्षेत्रोंमें गैर-सरकारी क्षेत्र सरकारी क्षेत्र को मात दे रहे हैं। (iii) स्वास्थ्य सेवा–स्वास्थ्य सेवा में सरकार तो लगी ही है, गैर-सरकारी लोग भी लगे हुए हैं। गाँवों में वैद्य और निजी डॉक्टर भरे पड़े हैं तो शहरों में भी निजीअस्पतालों, नर्सिंग होमों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। (iv) स्वरोजगार सेवाएँ- सरकार तो लोगों से सेवाएँ खरीदती ही है, देश में उससे अधिक स्वरोजगारियों की संख्या है। स्वरोजगारियों में छोटे दूकानदार से लेकरटाटा जेसे उद्योगपति भी आते हैं। ये स्वयं तो आय प्राप्त करते हैं, देश के बहुतों को नौकरी प्रदान करते हैं। (v) अन्य गैर-सरकारी सेवाएँ—अन्य गैर-सरकारी क्षेत्र की सेवाओं की गिनती कठिन है। ऐसे सेवक आपको कदम-कदम पर मिल जाएँगे। रिक्शा चालन से लेकरकृषि क्षेत्र में काम करने वाले गैर-सरकारी सेवक ही हैं।

प्रश्न 5. वर्तमान आर्थिक मंदी का प्रभाव भारत के सेवा क्षेत्र पर क्या पड़ा ?

उत्तर- वर्तमान आर्थिक मंदी के चपेट में बड़े-बड़े विकसित देश तक आ गए, जिस कारण वहाँ के अनेक बैंकों तक का दिवाला निकल गया, लेकिन भारत पर इसका प्रभाव नहीं के बराबर पड़ा। इसका कारण यह है कि आज की अवस्था में भारत का पूँजी बाजार काफी मजबूत है। एक तो यहाँ के इंजीनियर काफी दक्ष और सस्ते में उपलब्ध हैं वहीं दूसरी ओर भारत की सूचना प्रौद्योगिकी सेवा काफी मजबूत है। पूरे विश्व में भारतीय इंजीनियरों की माँग है। आज ये बाह्य स्रोती संसाधन बने हुए हैं । भले ही भारत की आधारभूत संरचना काफी कमजोर है, फिर भी आर्थिक मंदी का यहाँ बहुत कुप्रभाव नहीं पड़ा। विदेशों में जहाँ अमीरों को आत्महत्या करनी पड़ती है वहाँ भारत के कुछ किसान (बैंकों की सख्ती और सूदखारों के कारण) आत्महत्या को विवश हुए। लेकिन इसका करण आर्थिक मंदी नहीं, खराब मौसम रहा है। लेकिन यह कहना सर्वथा गलत होगा कि आर्थिक मंदी का कोई प्रभाव भारत पर नहीं पड़ा। यहाँ भी बड़े उद्योगों से कुछ लोगों की छँटइयाँ हुई और वे बेकारी की चक्की में पिसते रहने को बाध्य हुए। लेकिन इनकी संख्या बहुत कम रही। खासकर बिहार राज्य कुछ कुप्रभावित हुआ। भारत सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्वस्तर पर अग्रणी है। इस कारण भारत पर आर्थिक मंदी का प्रभाव नहीं के बराबर पड़ा। सिवाय इसके कि भारत के लोगों को केन्द्र और राज्य सरकारों की गलत नीतियों के कारण महँगाई की मार झेलनी पड़ी है।

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