भूगोल पाठ- 1(घ) शक्ति (ऊर्जा) संसाधन

लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. पारम्परिक एवं गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों के तीन-तीन लिखिए।

उत्तर- पारम्परिक ऊर्जा के तीन स्रोत :- (क) कोयला, (ख) पेट्रोलियम (ग) प्राकृतिक गैस गैर पारम्परिक ऊर्जा के तीन स्रोत :- (क) बायो गैस, (ख) सौर ऊर्जा तथा (ग) पवन ऊर्जा

प्रश्न 2. गोंडवाना समूह के कोयला क्षेत्रों के नाम लिखिए ।

उत्तर-गोंडवाना समूह के कोयला क्षेत्रों के नाम हैं। (i) दामोदर घाटी, (ii) सोन घाटी, (iii) महानदी घाटी तथा (iv) वर्धा-गोदावरी बाद

प्रश्न 3. झारखंड राज्य के मुख्य कोयला उत्पादक क्षेत्रों के नाम लिखित।

उत्तर-झारखंड राज्य के मुख्य कोयला उत्पादक क्षेत्र के नाम हैं :- (i) झरिया, (ii) बोकारो, (iii) गिरिडीह, (iv) कर्णपुरा तथा (v) रामगढ़ ।

प्रश्न 4. कोयले के विभिन्न प्रकारों के नाम लिखिए ।

उत्तर- कोयले के विभिन्न प्रकारों के नाम निम्नलिखित हैं : (i) ऍथसाइट, (ii) बिटुमिनस, (iii) लिग्नाइट तथा (iv) पीट ।

प्रश्न 5. पेट्रोलियम से किन-किन वस्तुओं का निर्माण होता है?

उत्तर- पेट्रोलियम से निम्नलिखित वस्तुओं का निर्माण होता है :- (1) मैसोलीन, (i) डीजल (iii) किरासन तेल, (iv) (v) कीटनाशक दवाइयाँ (vi) पेट्रोल, (vii) साबुन, (viii) कृत्रिम रेशा, (ix) प्लास्टिक तथा (6) मगवती ।

6. सागर क्या है?

उत्तर- महाराष्ट्र राज्य में मुंबई से 176 किलोमीटर दूर समुद्र की छाती पर एक मंच मचान है। इसी को आधार बनाकर वैज्ञानिक और इंजिनियर पाइप वैशीकर पेट्रोलियम निकालते हैं। निकाला हुआ । पेट्रोलियम पाइपों के सहारे स्थल पर पहुँचा कर सफाई होती है और इसके विभिन्न उत्पाद प्राप्त किए जाते हैं।

प्रश्न 7. किन्हीं चार तेल शोधक कारखाने का स्थान निर्दिष्ट कीजिए ।

उत्तर- चार तेल शोधक कारखाने निम्नलिखित स्थानों पर है। (i) डिगबोई, (ii) तारापुर (iii) बरौनी तथा (iv) अंकलेश्वर ।

प्रश्न 8. जल-विद्युत उत्पादन के कौन-कौन से मुख्य कारक हैं?

उत्तर- जल-विद्युत उत्पादन के मुख्य कारक निम्नलिखित है। (i) सदाबाहिनी नदी, (ii) प्रचुर जल की राशि, (iii) नदी मार्ग की ढाल, (iv) नदी का तीब्र वेग अथवा (V) प्राकृतिक जलप्रपात ।

प्रश्न 9. नदी घाटी परियोजना को बहुउद्देशीय क्यों कहा जाता है?

उत्तर- नदी घाटी परियोजना को बहुउद्देशीय इसलिए कहा जाता है क्योंकि उससे अनेक उद्देश्यों की पूर्ति होती है । सर्वप्रथम तो सिंचाई के लिए जल प्राप्त होता है, बिजली बनाई जाती है, बाढ़ की रोकथाम की जाती है, मिट्टी के कटाव को रोका जाता है, दूसरे यह कि मछली पालन होता है, नहर के निर्माण द्वारा यातायात की सुविधा बढ़ाई जाती है। उसे देखने पर्यटक आते हैं, जिससे पयर्टन उद्योग को बढ़ावा मिलता है। पर्यटक नौकायन का मजा लेते हैं।

प्रश्न 10. निम्नलिखित नदी घाटी परियोजनाएँ किन राज्यों में अवस्थित हैं ? (i) हीराकुड, (ii) तुंगभद्रा तथा (iii) रिहन्द ।

उत्तर- (i) हीराकुड नदी घाटी परियोजना – उड़ीसा राज्य (ii) तुंगभद्रा नदी घाटी परियोजना – आंध्र प्रदेश राज्य (iii) रिहन्द नदी घाटी परियोजना – उप्रदेश राज्य

प्रश्न 11. ताप शक्ति क्यों समाप्य संसाधन है?

उत्तर- ताप शक्ति का उत्पादन जीवाष्म ईंधन से होता है और ये ईंधन सदैव प्राप्त होने वाले नहीं हैं। एक-न-एक दिन इन्हें समाप्त होना ही है। समाप्त होने के बाद ये पुनः प्राप्त होने वाले नहीं हैं। इसी कारण ‘ताप शक्ति को समाप्य संसाधन’ कहा जाता है।

प्रश्न 12. परमाणु शक्ति किन-किन खनिजों से प्राप्त होता है?

उत्तर- परमाणु शक्ति निम्नांकित खनिजों से प्राप्त होता है : (i) इल्मेनाइट, (ii) बैनेडियम, (iii) एंटीमनी, (iv) ग्रेफाइट, (v) यूरेनियम तथा(vi) मोनोजाइट।

प्रश्न 13. मोनाजाइट भारत में कहाँ-कहाँ उपलब्ध है?

उत्तर- मोनाजाइट भारत में केरल राज्य में प्रचुरता से उपलब्ध है। केरल के अलावा यह तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा आदि तटीय राज्यों में भी पाया जाता है। मोनाजाइट में 50 से 80 प्रतिशत तक यूरेनियम मिल जाता है, जो भारत के लिए एक वरदान है।

प्रश्न 14. सौर ऊर्जा का उत्पादन कैसे होता है ?

उत्तर-एक खास तरह की बैट्री में लौटती सूर्य किरणों का एकत्र कर ऊर्जा में बदल दिया जाता है। इसी प्रकार सौर ऊर्जा का उत्पादन होता है। कम लागत में अधिक ऊर्जा प्राप्त करने का यह एक अनोखा साधन है। भारत के पश्चिमी भाग-गुजरात और राजस्थान में सौर-ऊर्जा की अपार सम्भावनाएँ हैं । प्रश्न 15. भारत के किन-किन क्षेत्रों में पवन ऊर्जा के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ हैं ?

उत्तर- भारत के तटीय क्षेत्र में पवन ऊर्जा उत्पादन के लिए अनुकूल हैं | राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि राज्यों में पवन ऊर्जा उत्पादन की अनुकूल परिस्थितियां हैं। गुजरात राज्य के कच्छ जिले में पवन ऊर्जा उत्पादन का जो संयंत्र है, वह एशिया का सर्वाधिक बड़ा संयंत्र है ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. शक्ति संसाधन का वर्गीकरण विभिन्न आधारों के स्पष्ट कीजिए । अनुसार ‘सोदाहरण

उत्तर-शक्ति संसाधन का वर्गीकरण विभिन्न आधारों पर निम्नलिखित प्रकार किया जा सकता है : (i) उपयोगिता के आधार पर, (ii) स्रोत की स्थिति के आधार पर तथा (iii) संरचनात्मक गुणों के आधार पर । (i) उपयोगिता के आधार पर—उपयोगिता के आधार पर ऊर्जा को दो वर्गों में विभक्त किया गया है। पहला वर्ग है प्राथमिक ऊर्जा जैसे जीवाश्म ईंधन : कोयला,पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा रेडियोधर्मी खनिज आदि । दूसरा वर्ग विद्युत् ऊर्जा को माना जाता है, क्योंकि विद्युत् प्राथमिक ऊर्जा ही से प्राप्त किया जाता है। (ii) स्रोत की स्थिति के आधार पर-स्रोत की स्थिति के आधार पर ऊर्जा को दो वर्गों में बाँटा गया है। पहला वर्ग है क्षयशील ऊर्जा संसाधन तथा दूसरा है अक्षयशील ऊर्जा संसाधन । क्षयशील संसाधन में कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा आण्विक खनिज हैं, जो पहले वर्ग में हैं तो दूसरे वर्ग में अक्षयशील संसाधन जैसे : जल विद्युत् पवन ऊर्जा, सागरीय लहरें, सौर ऊर्जा इत्यादी। (iii) संरचनात्मक गुणों के आधार पर-संरचनात्मक गुणों के आधार पर भी ऊर्जा के दो वर्ग हैं। जैविक ऊर्जा तथा अजैविक ऊर्जा । मनुष्य और घोड़ा, बैल इत्यादि जैविक ऊर्जा हैं तो जल शक्ति, पवन शक्ति, सौर शक्ति आदि को अजैविक ऊर्जा वर्ग में रखा गया है।

प्रश्न 2. भारत में पारम्परिक शक्ति के विभिन्न स्रोतों का विवरण प्रस्तुत कीजिए ।

उत्तर-पारम्परिक शक्ति के साधनों में कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, जीवाश्म ईंधन जैसे शक्ति के स्रोत है, जिन्हें पारम्परिक शक्ति के साधन माना गया है। ये पारम्परिक संसाधन तो हैं ही, समाप्य संसाधन भी है। कोयला भंडार को दो भागों में बाँटा गया है : पहला गोडवान समूह तथा दूसरा टीशायरी समूह। 1. गोंडवान समूह के कोयला का पहला स्थान झारखंड में है, दूसरा छत्तीसगढ़ में, तीसरा उड़ीसा में, चौथा महाराष्ट्र में, पाँचवाँ मध्य प्रदेश में, छटा पश्चिम बंगाल में है। 2. टर्शियरी कोयला समूह घटिया किस्म का कोयला होता है, जो मेघालय के दागिरी, चेरापूँजी, लेतरिग्यू, माओलांग और लॉगरिन क्षेत्र में प्राप्त होता है। इन क्षेत्रों के अलावा माकुम, जयपुर, नजिरा आदि क्षेत्रों में भी यह पाया जाता है। दूसरा पारम्पारिक शक्ति के साधनों पेट्रोलियम को माना जाता है, जो सबसे अधिक लोकप्रिय है। भारत में पेट्रोलियम के पाँच क्षेत्र हैं। वे हैं: उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, गुजरात क्षेत्र, मुंबई हाई क्षेत्र, पूर्व तटीय क्षेत्र तथा बाड़मेर बेसिन ।प्राकृतिक गैस भी वहीं प्राप्त होता है, जहाँ पेट्रोलियम प्राप्त होता है। आजकल इसका उपयोग तेजी से बढ़ा है। औद्योगिक क्षेत्र में तो इसका उपयोग होता ही है, शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी रसोई बनाने में यह ईंधन के रूप में उपयोग में आने लगा है। इसलिए, इसे रसोई गैस भी कहा जाता है।

प्रश्न 3. गोंडवाना काल के कोयले का भारत में वितरण पर प्रकाश डालें ।

उत्तर- गोंडवाना काल का कोयला भारत के निम्नलिखित राज्यों में वितरित है : (i) झारखंड, (ii) छत्तीसगढ़, (iii) उड़ीसा, (iv) महाराष्ट्र, (v) मध्य प्रदेश तथा (vi) पश्चिम बंगाल । (i) झारखंड—कोयले के भंडार तथा उत्पादन दोनों में झारखंड का पहला स्थान है। देश का 30% से भी अधिक कोयला का भंडार यहाँ सुरक्षित है। झरिया, बोकारो, गिरिडीह, कर्णपुरा, रामगढ़ खादान इस जिले का प्रमुख उत्पादन क्षेत्र हैं। पश्चिम बंगाल के रानीगंज खदान के भी कुछ भाग झारखंड में पड़ जाता है। (ii) छत्तीसगढ़—भंडार की दृष्टि से छत्तीसगढ़ का भारत में तीसरा स्थान है, लेकिन उत्पादन की दृष्टि से दूसरा है। उत्तरी छत्तीसगढ़ के मुख्य कोयला क्षेत्र चिरिमिरी, करसिया, विश्रामपुर, झिलमिलीं, सोनाहाट, लखनपुर आदि हैं। हासदो-अरंड, कोरबा तथा मांड-रायगढ़ दक्षिण छत्तीसगढ़ के अन्दर हैं। (iii) उड़ीसा—उड़ीसा में भारत का एक चौथाई कोयला का भंडार है, लेकिन उत्पादन 14.6 प्रतिशत ही होती है । ताल चर यहाँ का प्रमुख कोयला उत्पादन खदान है। यहाँ का कोयला कोई उत्तम किस्म का नहीं है, अतः भाप तथा गैस बनाने में ही इसका उपयोग हो पाता है। (iv) महाराष्ट्र महाराष्ट्र में देश का मात्र 3% ही भंडार सुरक्षित है। लेकिन उत्पादन की दृष्टि से अनुपात अधिक है अर्थात यहाँ 9 प्रतिशत से भी अधिक उत्पादन होता है। इस राज्य का चाँदाजग, बर्धा, कांपटी तथा बंदेर कोयला खान के लिए प्रसिद्ध है। (v) मध्य प्रदेश- मध्य प्रदेश में देश का 7 प्रतिशत कोयले का भंडार है। इसका सोहागपुर, जोहिला तथा उमरिया में ही खानें रह गई हैं। दूसरा क्षेत्र सतपुड़ा का कारण है कि अधिकांश कोयला की खाने छत्तीसगढ़ में चली गयी हैं। अब यहाँ सिगरौली कान्हन, पथ खेड़ा एवं मोह पानी है। (vi) पश्चिम बंगाल- पश्चिम बंगाल का सुरक्षित भंडार में देश का सातवाँ उत्पादन में सातवाँ स्थान रखता है। रानीगंज यहाँ का मुख्य कोयला क्षेत्र है, जिसका कुल भाग झारखंड में भी पड़ गया है। दार्जिलिंग में भी कुछ कोयला प्राप्त होता है। भूगर्भिक दृष्टि से भारत में कोयला भंडार को दो वर्गों में बाँटा गया है।

प्रश्न 4. कोयले का वर्गीकरण कर उनकी विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- (i) गोंडवाना समूह का कोयला तथा (ii) टर्शियरी समूह का कोयला । (i) गोंडवाना समूह का कोयला-गोंडवाना समूह में 96 प्रतिशत कोयले का भंडार है। यहाँ कुल उत्पादन का 99 प्रतिशत कोयला. गोंडवाना समूह से ही प्राप्त होता है।  गोंडवाना समूह के कोयले का निर्माण लगभग 20 करोड़ वर्ष पहले हुआ था। गोंडवाना समूह का कोयला मुख्य रूप से चार नदी घाटियों में पाया जाता है। वे नदी घाटियाँ हैं : (क) दामोदर नदी घाटी, (ख) सोन नदी घाटी, (ग) महानदी घाटी तथा (घ) बाध- गोदावरी नदी घाटी । (ii) टर्शियरी समूह का कोयला-गोंडवाना समूह के कोयले के बाद टर्शियरी समूह के कोयले का निर्माण हुआ । यह लगभग साढ़े पाँच करोड़ वर्ष पुराना है। टर्शियरी समूह के कोयले का विस्तार मुख्य रूप से असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय तथा नागालैंड राज्यों में पाया जाता है । श्रेणी के आधार पर कोयले का वर्गीकरण चार श्रेणियों में किया गया है। वे हैं : (क) एंथ्रासाइट, (ख) बिटुमिनस, (ग) लिग्नाइट तथा (घ) पीट । (क) एंथ्रासाइट–एंथ्रासाइट को सर्वोच्च कोटि का कोयला माना जाता है। इसकी मात्रा भी अधिक है, अर्थात यह 90% से भी अधिक है। इसे कोकिंग कोयला भी कहा जाता है, जो धुआँ कम तथा ताप अधिक देता है।. (ख) विटुमिनस – बिटुमिनस कोयला में 70-90% कार्बन की मात्रा पाई जाती है। इसका परिवेष्कार कर इससे  कोकिंग कोयला नामक उच्च कोटि का कोयला बनाया जाता है। (ग) लिग्नाइट – लिग्नाइट निम्न कोटि का कोयला माना जाता है। इसमें कार्बन की मात्रा मात्रा 30-70% तक ही होती है। यह अधिक धुआँ और कम ताप देता है। इसे भूरा कोयला भी कहते हैं। पीट-पीट कोयला में कार्बन की मात्रा बहुत ही कम, मात्र 30% या इससे भी कम पायी जाती है। यह दलदली क्षेत्र में पाया जाता है, अतः इसे निकालना कठिन है।

प्रश्न 5. भारत में खनिज तेल के वितरण का वर्णन कीजिए

उत्तर- भारत में यदि हम खनिज तेल के वितरण का वर्णन करना चाहें तो उसे पाँच क्षेत्रों में बाँटेंगे। वे होंगे : (i) उत्तरी-पूर्वी प्रदेश, (ii) गुजरात क्षेत्र, (iii) मुंबई हाई क्षेत्र, (iv) पूर्व तटीय क्षेत्र (v) बाड़मेर बेसिन क्षेत्र । (1) उत्तरी-पूर्वी प्रदेश उत्तर-पूर्वी प्रदेश भारत का पुराना क्षेत्र है। यहाँ पर इसकी खोज तथा खुदाई अग्रेजी द्वारा 1866 में की गयी थी। ऊपरी असम पाटी, प्रवेश आदि एक विस्तृत क्षेत्र में यह विशाल क्षेत्र आता है। डिगबोई, नरकटिया, मौरान, सागर, नगर और बोहोल्ला में तेल उत्पादन हो रहा है। एक सौ वर्षों से भी अधिक समय से तेल निकाले जाने के बावजूद यहाँ अभी भी  इसका काफी भंडार सुरक्षित है। (ii) गुजरात क्षेत्र गुजरात क्षेत्र में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद तेल की खोज हुई। यह तेल क्षेत्र खम्भात के बेसिन से लेकर गुजरात के मैदान तक विस्तृत है। पहली बार 1958 में यहाँ से तेल को निकालना आरम्भ हुआ। इसके मुख्य उत्पादक स्थान अंकलेश्वर, कलोल, गाँव, कोसांव तथा मेहसाना में है। (iii) मुंबई हाई क्षेत्र – मुंबई हाई क्षेत्र मुंबई तट से 176 किमी दूर अरब सागर में स्थित है। 1975 में यहाँ तेल का पता चला। समुद्र के बीच सागर सम्राट नामक विशाल मंच (मचान) बनाया गया और तेल निकालने का काम शुरू हुआ। निकाला हुआ कच्चा तेज परिष्करण के लिए पाइपों के जरिये स्थल पर पहुंचा दिया जाता है। यहाँ देश के कुल उत्पादन का 60% उत्पादन होता है। (iv) पूर्व तटीय क्षेत्र – पूर्वी तट प्रदेश में तेल का भंडार कृष्णा-गोदावरी और कावेरी नदियों के बेसिन में अवस्थित है। नानीमरम और कोविलत्पल कावेरी बेसिन का मुख्य तेल क्षेत्र है। कृष्णा-गोदावरी बेसिन में अभी खोज हो ही रही है, जहाँ तेल के बड़े भंडार की आशा है। (v) बाड़मेर – बेसिन क्षेत्र बाडीमेर बेसिन के मंगला तेल क्षेत्र से सितम्बर 2009 से तेल का उत्पादन आरंभ हुआ है। यहाँ प्रतिदिन 56,000 बैरल तेल निकल रहा है। आशा है कि 2012 तक भारत के कुल उत्पादन का 20% तेल यहाँ से उत्पादित होने लगेगा।

प्रश्न 6. जल विद्युत् उत्पादन हेतु अनुकूल भौगोलिक एवं आर्थिक कारकों की विवेचना कीजिए ।

उत्तर- जल विद्युत उत्पादन हेतु निम्नलिखित भौगोलिक एवं आर्थिक कारकों का होना आवश्यक है । (i) भौगोलिक कारक भौगोलिक कारकों में प्रमुख कारक हैं : (क) सदावादीनी नदियाँ, (ख) उन नदियों में जल की प्रचुरता, (ग) नदी के मार्ग में ढाल का अधिक होना, (घ) जल का तीव्र वेग से आना, (ङ) प्राकृतिक जल प्रपात का होना। ये सब सुविधाएँ हिमानी कृत क्षेत्रों में पायी जाती है। (ii) आर्थिक कारक-यदि देश या सरकार की आर्थिक स्थिति अच्छी हो तो बड़े- बड़े बाँध बनाकर, बाँध के पीछे जल को रोका जाता है। रोके गए जल को आवश्यकतानुसार छोड़कर टरबाइन चलाकर विद्युत् का उत्पादन होता है। (iii) सघन और घनी आबादी- जहाँ जल विद्युत् उत्पन्न किया जाता है वहाँ क आबादी घनी और धनी होनी चाहिए ताकि विद्युत् का खपत हो सके। इससे आर्थिक नुकसान की आशंका नहीं रहती। (iv) औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्र-यदि जल विद्युत् उत्पादन क्षेत्र के आस- पास का क्षेत्र औद्योगिक और वाणिज्यिक हो तो अच्छा समझा जाता है। ऐसे स्थानों पर कुछ महंगी दर पर भी विद्युत् मिले तो उपभोक्ता हिचकत नहीं।

प्रश्न 7. संक्षिप्त भौगोलिक टिप्पणी लिखिए:

उत्तर- (i) भाखड़ा नंगल परियोजना, (ii) दामोदर घाटी परियोजना, (iii) कोसी परियोजना, (iv) हीराकुड परियोजना, (v) रिहन्द परियोजना तथा (vi) तुंगभद्रा परियोजना । (i) भाखड़ा नंगल परियोजना भाखड़ा बाँध सतलज नहीं पर बना है। ऊँचाई 225 मीटर है। इस कारण इस बाँध की गिनती विश्व के सर्वोच्च बाँधों में होती है। भारत की तो यह सबसे बड़ी परियोजना है ही। बाँध पर चार शक्ति गृह बनाए गए हैं, जहाँ बिजली का उत्पादन होता है। एक शक्ति गृह तो भाखड़ा में ही है, दो गंगवाल तथा एक कोटला में स्थापित है। ये चारों मिलकर 7 लाख किलोवाट बिजली हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर राज्यों के उद्योगों तथा कृषि दोनों को काफी उत्पन्न करते हैं। इस बिजली से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश लाभ पहुँचाया है। (ii) दामोदर घाटी परियोजना दामोदर घाटी परियोजना के अन्तर्गत बना बाँध दामोदर नदी पर झारखंड राज्य में है। इसके तहत तिलैया, मैथन, कोनार और पंचेत पहाड़ी में बाँध बनाकर 1300 मेगावाट विद्युत पैदा होता है। इस बिजली का लाभ बिहार, झारखंड तथा पश्चिम बंगाल राज्य उठाते हैं। दामोदर नदी में जो पहले बाढ़ आती रहती थी, उस पर भी नियंत्रण लगा है। (iii) कोसी परियोजना कोसी परियोजना भारत और नेपाल दोनों देशों की संयुक्त परियोजना है। इसके तहत नेपाल में स्थित हनुमान नगर में विशाल बाँध बनाकर प्रति वर्ष कोसी नदी की बाढ़ से तो बचाया गया है ही, इससे 20 हजार किलोवाट बिजली भी उत्पन्न की जाती है। आधी बिजली भारत को मिलता है तथा आधी नेपाल को पिछले वर्ष अधिक वर्षा के कारण पानी के एकत्र हो जाने से नेपाल द्वारा बराज खोल दिए जाने से इतना पानी बिहार में आया कि इसे अभूतपूर्व बाढ़ का सामना करना पड़ा। इससे बचाव का प्रयास हो रहा है। (iv) हीराकुड परियोजना- हीराकुड परियोजना के तहत उड़ीसा राज्य में महानदी पर विश्व का सर्वाधिक लम्बा बाँध बनाया गया है, जिसकी लम्बाई 48 सौ मीटर से भी अधिक है। इस परियोजना से 2.7 लाख किलोवाट बिजली उत्पन्न की जाती है। इस बिजली का उपयोग उड़ीसा के उद्योगों और कृषि के लिए तो होती ही है, के राज्य भी उसका लाभ उठाते हैं। (v) रिहन्द परियोजना-रिहन्द नदी सोन की सहायक नदी है। इस नदी पर उत्तरप्रदेश में 934 मीटर लम्बा बाँध बनाया गया है। बाँध के पीछे एकत्र जल से जो कृत्रिम झील बना है, उसका नाम ‘गोविन्द वल्लभ पंत सागर’ नाम दिया गया है, जिसे संक्षेप में ‘गोविंद सागर’ भी कहा जाता है। यहाँ 30 लाख किलोवाट बिजली पैदा करने की क्षमता है, जिसका उपयोग रेणुकूट अल्युमिनियम उद्योग, चुर्क सीमेंट उद्योग तथा रेलो के संचालन में किया जाता है। (vi) तुंगभद्रा परियोजना- तुंगभद्रा कृष्णा नदी की सहायक नदी है। इसी नदी पर आंध्र प्रदेश में दक्षिण भारत की एक सर्वाधिक विशाल बाँध बनाया गया है। इस परियोजना की क्षमता एक लाख किलोवाट बिजली उत्पन्न करने की है। इस बिजली का उपयोग आंध्र प्रदेश और कर्नाटक दोनों राज्य करते हैं। इससे यहा के उद्योग तथा कृषि दोनो को लाभ होता है

8.भारत के किन्हीं चार परमाणु विद्युत् गृह का उल्लेख कीजिए तथा उनको विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- भारत के चार प्रमुख विद्युत् गृह है (i) तारापुर परमाणु विद्युत् गृह, (ii) प्रताप सागर परमाणु विद्युत गृह, (iii) कलपक्कम परमाणु विद्युत् गृह (iv)नरौरा परमाणु विद्युत् गृह इनकी विशेषताएँ निम्नलिखित है- (i) तारपुर परमाणु विद्युत् गृह-तारापुर परमाणु विद्युत् गृह एशिया का सर्वाधिक परमाणु विद्युत् गृह है। यहाँ जल उबालने वाली दो परमाणु भट्टियाँ है। इन प्रत्येक भट्टी का उत्पादन क्षमता 200 मेगावाट से अधिक है। अब यहाँ यूरेनियम के स्थान पर पोरियम से प्लुटोनियम बनाकर विद्युत् उत्पन्न किया जा रहा है। इसका कारण है कि भारत में पोरियम का अपार भंडार । (ii) राणा प्रताप सागर परमाणु विद्युत् गृह-राणा प्रताप सागर परमाणु विद्युत् गृह कोटा (राजस्थान) में अवस्थित है। चंबल नदी के किनारे अवस्थित होने के कारण उसे इस नदी से पानी मिलता है। इस बिजली गृह को बनाने में कनाडा ने सहयोग दिया है। इसकी विद्युत् उत्पादन क्षमता 100 मेगावाट है। लेकिन इस क्षमता को बढ़ाने के लिए 235 मेगावाट की दो इकाईयाँ बढ़ाने का काम चल रहा है। (iii) कलपक्कम परमाणु विद्युत् गृह-अलपक्कम परमाणु विद्युत् गृह तमिलनाडु में अवस्थित है। यह पूरी तरह भारतीय प्रयास से स्थापित हुआ है। यहाँ पर 335 मेगावाट के दो रिएक्टर चालू है। पहला 1983 में और दूसरा 1985 में कार्य करना आरम्भ किया था। तमिलनाडु को इससे सस्ती बिजली प्राप्त हो रही है। (iv)नरौरा परमाणु विद्युत् गृह – नरौरा परमाणु विद्युत् गृह उत्तर प्रदेश राज्य में बुलन्दशहर के पास स्थापित किया गया है। यह भी पूर्णतः भारतीय प्रयास से तैयार किया गया है। यहाँ दो रिएक्टर काम करते हैं जो 235 मेगावाट बिजली उत्पन्न करते हैं । यहाँ के बिजली से यहाँ के बाशिन्दे तथा कृषक बहुत लाभान्वित हो रहे हैं।

प्रश्न 9.शक्ति (ऊर्जा) संसाधनों के संरक्षण हेतु कौन-कौन कदम उठाए जा सकते हैं? आप उनमें कैसे मदद पहुँचा सकते हैं?

उत्तर- शक्ति (ऊर्जा) संसाधनों के संरक्षण के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं : (i) ऊर्जा के प्रयोग में मितव्यमिता—ऊर्जा संकट से बचने के लिए हमें उसका सावधानी तथा मितव्ययिता पूर्ण ढंग से व्यय करना चाहिए। ऐसी मोटर गाड़ियाँ बने जो कम ऊर्जा से अधिक दूरी तय कर सके। अच्छी सड़कें ऊर्जा बचत का कारण बन सकती है। (ii) ऊर्जा के नवीनतम क्षेत्रों की खोज—ऊर्जा संकट को दूर करने के लिए ऊर्जा स्रोतों की नई-नई खोज हो। इसके अन्वेषण में 1970 से काफी तेजी आई है। हिमालयके तराई क्षेत्रों के भारतीय भागों में काफी पेट्रोलियम निकलने की आशा है। खोज जारी है। (iii) ऊर्जा के नवीन वैकल्पिक साधनों का उपयोग—आज आवश्यकता है कि भूतापीय ऊर्जा, ज्वरीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि नवीन ऊर्जा स्रोतों का उपयोग किया जाय। वैसी मोटर गाड़ियाँ अधिकता से बनें जो विद्युत चालित हों। जिस मोटर से चलेगी उसके साथ-साथ ही चार्ज होते रहने की व्यवस्था रहे।कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण

प्रश्न तथा उनके उत्तर:

प्रश्न 1. आज औद्योगिकरण के क्या आधार हैं ?

उत्तर- आज औद्योगिकरण के आधार हैं : कोयला, पेट्रोल तथा प्राकृतिक गैस । इसी कारण इन्हें वाणिज्यिक ऊर्जा स्रोत भी कहा जाता है ।

प्रश्न 2. शक्ति के साधनों का आप कितने आधारों पर वर्गीकरण कर सकते हैं और कौन-कौन ?

उत्तर- शक्ति के साधनों का हम तीन आधारों पर वर्गीकरण कर सकते हैं। वे हैं : (i) उपयोगिता के आधार पर, (ii) स्रोत की स्थिति के आधार पर तथा (iii) संरचनात्मक गुणों के आधार पर ।

प्रश्न 3. जल विद्युत् उत्पादन के लिए क्या आवश्यक है?

उत्तर- जल विद्युत् उत्पादन के लिए आवश्यक है कि सदावाहिनी नदी हो, नदी में प्रचुर जाल हो, नदी के मार्ग में ढाल हो, जल का वेग तीव्र हो अथवा प्राकृतिक जल प्रपात हो।

प्रश्न 4. चम्बल घाटी परियोजना क्या है?

उत्तर- चम्बल नदी पर राजस्थान में बाँध बनाए गए हैं, जिनसे 2 लाख बिजली उत्पन्न होती है। यहाँ तीन बाँध बनाए गए हैं : एक गाँधी सगार, दूसरा राणा प्रताप सागर तथा तीसरा कोटा बाँध। यहाँ से उत्पादित बिजली से राजस्थान और मध्य प्रदेश-दोनों राज्यों को लाभ मिलता है।

प्रश्न 5: शारवती नदी परियोजना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।

उत्तर-कर्नाटक में पश्चिम बाट पहाड़ के पास शारवती नदी पर जोग प्रपात के पास लगभग 2200 मीटर लम्बा तथा 62 मीटर ऊँचा बाँध बनाया गया है। बाँध के पीछे एकत्र जल से टरबाइन चलाकर बिजली पैदा की जाती है। योजना है कि यहाँ 12 लाख किलोवाट बिजली उत्पन्न की जाय। इससे कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु तथा महाराष्ट्र आदि राज्य लाभान्वित होंगे।

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