लघु उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. भारत में सड़कों के प्रादेशिक वितरण का वर्णन प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर- भारत में सड़कों के प्रादेशिक वितरण पर यदि हम ध्यान दें तो पाते हैं कि इनकी लम्बाई की दृष्टि से भारत में महाराष्ट्र का पहला स्थान है। यहाँ कुल लम्बाई 2.70 लाख किमी है। दूसरा स्थान उत्तर-प्रदेश तथा तीसरा स्थान उड़ीसा का है जहाँ सड़कों की लम्बाई क्रमश 2.47 लाख तथा 2.36 लाख किमी हैं। सबसे कम लम्बाई वाला राज्य लक्षद्वीप हैं, जहाँ मात्र 1 किमी लम्बी सड़क है। सड़कों के घनत्व की दृष्टि केरल का पहला स्थान है जहाँ प्रति 100 वर्ग किमी क्षेत्र में 387 किमी सड़क है, वहीं गोआ और आम उड़ीसा क्रमशः दूसरे (258 किमी) तथा तीसरे (152किमी) स्थान पर हैं। यह विवरण केवल पक्की सड़कों का है।
प्रश्न 2. भारतीय रेल परिवहन की किन्हीं छ: विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर- भारतीय रेल परिवहन अपने आप में एक विशेषता है। संसार में इससे सस्ती सवारी कोई नहीं ।
(i) शीघ्र गन्तव्य तक पहुँचाने में वायुयान के बाद रेल का ही स्थान है।
(ii) देश के दूर-दराज नगरों को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने के लिए या एक राज्य की राजधानी से दूसरो राज्य की राजधानियों को जोड़ने के लिए राजधानी एक्सप्रेस तथा शताब्दी एक्सप्रेस जैसी गाड़ियाँ चलाई जा रही हैं।
(iii) 760 किमी लम्बी कोकण रेल परियोजना ऐसी परियोजना है, जिसके रास्ते में 92 सुरंग, 1819 छोटे पुल, 179 बड़े पुल तथा 56 रेलवे स्टेशन हैं 1
(iv) कोलकाता और दिल्ली में मेट्रो रेलें चलाई जा रही हैं, जिनसे लोकल यात्रियों को लाभ ही लाभ हैं।
(v) अधिकतर रेलें बिजली से चलती हैं, लेकिन डिजल तथा कोयला से चलने वाले इंजन भी अभी मौजूद हैं ।
(vi) सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग तथा कालका से शिमला तक चलने वाली टॉय ट्रेनें आज की अजुबी ट्रेनें हैं ।
प्रश्न 3. भारत के विभिन्न डाक चैनेल का संक्षेप में विवरण दीजिए :
उत्तर—भारत में छः डाक चैनल हैं । वे हैं: (i) राजधानी चैनेल, (ii) मैट्रो चैनल, (iii) ग्रीन चैनल, (iv) दस्तावेज चैनल, (v) भारी चैनल तथा (vi) व्यापार चैनल।
राजधानी चैनल की डाक-पेटियाँ पीले रंग की होती हैं। इसमें पत्र डालने पर वह सीधे उस राजधानी के शहर में पहुँच जाता है। 6 खास-खास राज्यों की राजधानियों के लिए यह सेवा अभी उपलब्ध है। मैट्रो चैनल सेवा बंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई, दिल्ली, मुंबई एवं हैदराबाद के लिए उपलब्ध है। इन नगरों के पिन कोड अंकित पत्रों को नीले रंग की डाक पेटियों में डाला जाता है। ग्रीन चैनल की डाक पेटी हरे रंग की होती है, जिसमें लोकल शहर के पत्र डाले जाते हैं। दस्तावेज चैनल समाचार पत्रों तथा मैंगजिनों के लिए है। भारी चैनल डाक सेवा में बड़े व्यापारिक संगठनों के डाक भेजे जाते हैं। ऐसे पत्र प्रधान पोस्ट ऑफिस के हवाले करने पड़ते हैं। व्यापार चैनेल साधारण व्यापारियों के पत्र के लिए है। ऐसे पत्र लाल पत्र पेटी में ही डाले जाते हैं।
प्रश्न 4. भारत से निर्यात तथा यहाँ आयात होने वाली वस्तुओं के नाम लिखें ।
उत्तर : भारत से निर्यात होने वाली वस्तुएँ—इंजीनियरिंग के सामान, पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न और आभूषण, रासायन एवं रासायनिक सामान, वस्त्र, कृषिगत उत्पाद, अयस्क एवं अन्य खनिज इत्यादि । भारत में आयात होने वाली वस्तुएँ-मशीनरी तथा उसके पार्ट-पुर्जे, इलेक्ट्रानिक सामान, सोना, चाँदी, उर्वरक तथा अन्य रासायनिक सामान, अलौह खनिज तथा अनेक समान ।
प्रश्न 5 भारत के प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्गों के बारे में लिखिए।
उत्तर- भारत में राष्ट्रीय जलमार्गों की संख्या 5 है। वे हैं : राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या (i), (ii) (i), (iv) तथा (v)।
(i) राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1 – यह हल्दिया से इलाहाबाद के बीच गंगा नदी पर 1620 किलोमीटर तक है।
(ii) राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-2- यह सदिया से धुबरी तक 891 किलोमीटर लम्बा है। यह बह्मपुत्र नदी में है। बंगलादेश को भी इससे जोड़ा गया है।
(iii) राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-3 यह जल मार्ग नहरों द्वारा नदियों को जोड़कर बतनाया गया है। यह कोलम से कोट्टापुरम् तक 205 किलोमीटर लम्बा है, जो चंपाकारा तथा उद्योग मंडल नहरों सहित पश्चिमी तट तक नहर विकसित है।
(iv) राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-4 यह गोदावरी-कृष्णा नदियों के सहारे 1095 किमीलम्बा जलमार्ग है। यह पुडुचेरी-काकीनाडा नहर के सहारे आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु राज्य तक फैला हुआ है 1
(v) राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-5 इस जलमार्ग का विकास उड़ीसा के ईस्ट कोस्ट कनाल मतई, ब्राह्मणी एवं महानदी डेल्टा के सहारे 623 किलोमीटर की लम्बाई में बन रहा है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की विशेषताओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तर-स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरंत बाद देश का बहुमुखी विकास करना था । अतः इसके लिए आयात और निर्यात दोनों को बढ़ाना आवश्यक था। उसी समय से देश का आर्थिक प्रगति के साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार बढ़ता जा रहा है। लेकिन पेट्रोलियम के अधिक आयात से कभी भी देश का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अनुकूल नहीं हो सका। कारण कि आयात से निर्यात का मूल्य प्रति वर्ष कम ही रहा है। पेट्रोलियम के मूल्य में लगातार वृद्धि भी भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रतिकूल रहने का कारण रहा है।
2006-07 तथा 2007-08 के वर्षों के दौरान भारत से कुल निर्यात जहाँ 51.54% एशियाई देशों के साथ हुआ, वहीं यूरोपीय देशों से 22.99% तथा अमेरिका से 17.04% का रहा। उन्हीं वर्षों में भारत का आयात एशियाई देशों को 65.52%, यूरोपीय देशों को 19,97% और अमेरिका को 9.05% (मूल्य) का रहा। इस प्रकार हम देखते हैं कि आयात से निर्यात सदैव कम रहा। ऐसी स्थिति इसलिए भी है कि पेट्रोलियम की दर में लगातार वृद्धि होती जा रही है और भारत में मोटरगाड़ियों, ट्रक आदि की वृद्धि से उसकी माँग भी बढ़ रही है। व्यापार के सदैव प्रतिकूल रहने का यह भी एक कारण है। इसकी भरपाई निर्यात बढ़ाकर ही की जा सकती है। भारत सरकार निर्यात बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। निर्यात की नई-नई नितियाँ बनाई जा रही है।
2004-09 के बीच की घोषणा इसी नीति को ध्यान में रखकर की गई थी। यह घोषण इसलिए भी की गई थी, ताकि पाँच वर्षो में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एल में भारत का हिस्सा दूना हो सके। भारत एशिया का पहला देश है, जिसने निर्यात बढ़ाने में निर्यात संसाधन क्षेत्र की पहचान की है। फलस्वरूप कांडला निर्यात संवर्द्धन में पहले स्थान पर है। इसके और भी अन्य बन्दरगाहों की पहचान की गई है, ज हो सके। लेकिन अभी भी बहुत सफलता नहीं मिली है। वर्तमान सम देश अधिक विदेशी मुद्रा अर्जित कर सकता है।
प्रश्न 2. भारत में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की सड़कों का विस्तृत विवरण दीजिए।
उत्तर-भारत में सड़कों को पाँच वर्गों में बाँटा गया है। वे हैं (1) राष्ट्रीय राजमार्ग, (ii) राज्यमार्ग, (iii) जिला की सड़कें, (iv) ग्रमीण सड़कें तथा (v) सीमांत सड़कें।
राष्ट्रीय राजमार्ग- राष्ट्रीय राजमार्ग देश के विभिन्न राज्यों को जोड़ते हैं। मार्ग कई राज्यों से होकर गुजरते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-7 एक लम्बा राजमार्ग है। लेकिन उससे भी लम्बा राजमार्ग उत्तर-दक्षिण गलियारा है, जो उत्तर में श्रीनगर से चलकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक जाता है और जिसकी लम्बाई 4016 किलोमीटर है। अभी इसका काम प्रगति पर है। पूरे देश में राष्ट्रीय राजमार्गों की संख्या 228 और कुल लम्बाई 60,590 किलोमीटर है। इसके अलावे स्वर्णिम चतुर्भुज मार्ग है। 5846 किमी लम्बी होगी। पूरब पश्चिम एवं उत्तर-दक्षिण गलियारों की लम्बाई कम 36410 तथा 4016 किलोमीटर है। अब एक्सप्रेस वे राजमार्ग भी बनने वाले हैं। कोलकाता – दमदम राजमार्ग, अहमदाबाद राजमार्ग, पश्चिम तटीय मुंबई राज मार्ग ये सड़कें चार लेनों वाली होगी और वाहनों की गति सीमा अधिकतम होगी ताकि कम समय में ही गंतव्य तक पहुँचा जा सके। देश के बन्दरगाहों को जोड़ने के लिए भी सड़कें बनी हैं, जिनकी कुल लम्बाई 380 किलोमीटर है।
(ii) राज्य मार्ग राज्य मार्ग सम्बद्ध राज्यों की राजधानियों को जिलों से जोड़ते हैं। इनको बनवाने तथा इनकी देखभाल की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। पूरे देश
में इनकी लम्बाई मात्र 4% है। ये राज्यमार्ग राजमार्गों से भी जुड़े रहते हैं या रह सकते हैं।
(iii) जिला मार्ग – जिला मार्ग राज्यों के विभिन्न जिला मुख्यालयों को जोड़ते हैं। देश के कुल मार्गों का ये 14% है। क्षेत्र विशेष के विकास इन्हीं मार्गों पर निर्भर है। इन्हें बनवाने और देख-रेख की जिम्मेदारी भी सम्बद्ध राज्य सरकारों की होती है।
(iv) ग्रामीण सड़कें ग्रामीण सड़कें एक गाँव को दूसरे गाँव से जोड़ती हैं। ऐसी सड़कों की लम्बाई कुछ कम नहीं है। देश की कुल सड़कों की लम्बाई का ये 80% है। इन सड़कों में प्रधानमंत्री सड़क योजना की सड़कें भी शामिल हैं।
(v) सीमा सड़कें देश की सुरक्षा में सीमांत सड़कों का महत्त्वपूर्ण हाथ है। इन सड़कों का निर्माण और देखभाल सीमा सड़क संगठन करता है। युद्ध के समय इन सड़कों का महत्त्व बढ़ जाता है।
प्रश्न 3. भारतीय अर्थव्यवस्था में परिवहन एवं संचार के साधनों की महत्ता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- परिवहन एवं संचार के साधनों तथा देश की आर्थिक क्रियाओं तथा आर्थिक विकास में एक ऐसी ताना-बाना है, जिनके परस्पर के सहयोग से ही एक-दूसरे का विकास सम्भव हो सकेगा। ऐसी बात नहीं है कि परिवहन और संचार के साधनों का अस्तित्व बिना आर्थिक विकास के हो सकेगा और साथ ही यह भी निसन्देह कहा जा सकता है। कि बिना परिवहन और संचार के आर्थिक विकास भी सम्भव नहीं हो सकेगा। परिवहन- को मदद मिलती है। देश में यदि परिवहन और संचार के साधन उन्नत न हो तो आर्थिक संचार से आर्थिक विकास में मदद मिलती है और आर्थिक विकास से परिवहन संचार विकास नहीं हो सकेगा और आर्थिक विकास नहीं हो तो परिवहन और संचार के साधन निरर्थक होंगे।
परिवहन के साधनों का महत्त्व प्राचीन भारत में भी था और आज भी है। सड़कों के विकास के कारण ही कभी रोम व्यापार में विश्व प्रसिद्ध था। लेकिन तब के परिवहन के साधनों और आज के परिवहन के साधनों में अन्तर है। संचार के साधन प्राचीन काल में तो थे ही नहीं । एल देश में आर्थिक विकास के लिए यह भी आवश्यक है कि सर्वत्र शांति-सुव्यवस्था बनी रहे और शांति-सुव्यवस्था के लिए परिहवन और संचार के साधनों का रहना भी आवश्यक है ताकि पुलिस और सैन्य संस्थाओं का कहीं से कहीं आना-जाना आसान हो। भारत जैसे विस्तृत क्षेत्रफल, विशाल जनसंख्या तथा विभिन्न संस्कृतियों वाले देश में परिहवन एवं संचार के विभिन्न साधन सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर को भी ऊँचा रखने में मदद करते हैं।
संचार के सुलभ होने से घंटों के अन्दर व्यापारी देश-विदेश कही भी आर्डर भेज सकते हैं और परिवहन की सुगमता से माल शीघ्रता शीघ्र मांग सकते हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि “परिवहन तथा संचार के साधन देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।”
प्रश्न 4. भारत में पाइप लाइन परिवहन का वर्णन कीजिए
उत्तर—पाइप लाइन के माध्यम से तो अनेक तरल पदार्थों को दूर-दूर तक भेजा जाता है, यहाँ तक कि कुछ ठोसों को भी तरल अवस्था देकर पाइप लाइन से भेजा जाता है। लेकिन भारत में इनके दो वर्गों की प्रमुखता है
(i) तेल पाइप लाइन—इससे कच्चा तेल तथा इसके विभिन्न उत्पाद भेजे जाते हैं।
(ii) गैस पाइप लाइन—इससे एल. पी. जी. भेजा जाता है। जैसा कि हम जानते हैं कि भारत के पूर्वी, पूर्वोत्तर तथा पश्चिमी क्षेत्र में पेट्रोलियम प्राप्त होता है। पूर्व तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र से डिगबोई से बरौनी, हल्दिया तथा पाराद्वीप तक जाता है, जहाँ उसका परिशोधन होता है। पश्चिमी क्षेत्र में एक पाइप लाइन कांडला, अजमेर होते हुए पानीपत तक तथा जामनगर से चाकसू तक है। चाकसू से यह पानीपत एवं मथुरा तक दो भागों में बाँटा गया है। दक्षिण भारत में विशाखापत्तनम् विजयवाड़ा तथा हैदराबाद के मध्य पाइप लाइन बिछे हैं। इन्हीं पाइप लाइनों के समांतर एल. पी. जी. पाइप लाइन भी है।
गुजरात में हजीरा से उत्तर प्रदेश के जगदीशपुर तक 1730 जी. गैस पाइप लाइन भी कहा जाता है। भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड (गेल) भारत किलोमीटर लम्बा हजीरा बीजापुर-जगदीशपुर गैस पाइप लाइन है। इसी को एल. पी. में अनुमानतः 4500 किलोमीटर लम्बा पाइप लाइन का संचालन करता है। पेट्रोलियम उत्पादों के वितरण के लिए गुवाहाटी-सिलीगुड़ी, बरौनी-कानपुर-लखनऊ, चेन्नई- त्रिची, कोच्चि कारूर, मंगलौर-हासन-बेंगलुरु, मुंबई-मानमाड-इन्दौर, मुंबई-पुणे तथा का आज नहरकटिया-गुवाहाटी-सिलीगुड़ी-बरौनी-कानपुर-राजबन्द-मौनग्राम-हल्दिया पाइप नहरकटिया मोनग्राम-हल्दिया पाइप लाइन प्रसिद्ध है। देश का सर्वाधिक बड़ा पाइप लाइन है। अब इसे हल्दिया से पाराद्वीप तक बढ़ाया जा रहा है।