लघु उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. खोखा किन मामलों में अपवाद था ?
उत्तर – सेन साहब को पाँच पुत्रियाँ थी। पुत्र का आविर्भाव तब हुआ जब संतान की कोई उम्मीद बाकी नहीं रह गई थी अर्थात् सेन साहब को पुत्र तब नसीब हुआ जब पति-पत्नी दोनों बुढ़ापे के अंतिम पड़ाव पर पहुँच चुके थे। इसलिए खोखा जीवन के नियमों के अपवाद के साथ-साथ घर के नियमों का भी अपवाद था।
प्रश्न 2. रोज-रोज अपने बेटे मदन की पिटाई करने वाला गिरधर मदन द्वारा काशू की पिटाई करने पर उसे दंडित करने के बजाय अपनी छाती से क्यों लगा लेता है ?
उत्तर – गिरधर जब तक सेन साहब की नौकरी में था, तब तक वह अपने पौरुष को दबाए हुए था । यद्यपि गिरधर रोज-रोज अपने बेटे मदन की पिटाई करता था। लेकिन, उस दिन जब मदन ने काशू की पिटाई की तो गिरधर उसे
पीटने के बजाय छाती से लगाकर शाबाशी देने लगता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह मजबूरी में सेन साहब से हमेशा दवा डरा रहता था, स्वाभाविक स्वेच्छा से नहीं। इसलिए जब उसके बेटे ने काशू की पिटाई की तो उसका स्वाभिमान जाग उठा और उसने मदन को दण्डित करने के बजाय अपनी छाती से लगा लिया । गिरधर ने बेटे की बहादुरी पर गर्व से उसे छाती से लगा लिया कि अपने जिस अपमान का प्रतिरोध वह नहीं कर सका तो मदन ने कर लिया।
प्रश्न 3. विष के दाँत कहानी का नायक कौन है ? तर्कपूर्ण उत्तर दें।
उत्तर –‘विष के दाँत’ कहानी का नायक मदन है। इसमें मदन का चरित्र है जो सबसे अधिक प्रभावशाली है। बुराई का अन्त करने वाला ही नायक होता है। कहानी का अंत मदन के द्वारा काशू के दाँत तोड़ने से होता है। कहानी में वह अन्याय सहन नहीं करता। नायक की पहचान है- निर्भिकता और साहसिकता। ये दोनों गुण मदन के अन्दर मौजूद है। अतः कहानी का मूल नायक मदन ही है।
प्रश्न 4. विष के दाँत कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –कहानी का जैसा ठोस सामाजिक संदर्भ है, वैसा ही स्पष्ट मनोवैज्ञानिक आशय भी । यह कहानी मध्यम वर्ग के अनेक अंतर्विरोधों को उजागर करती है। यह कहानी सामाजिक भेद-भाव, लिंग-भेद, आक्रामक, स्वार्थ की छाया में पलते हुए प्यार-दुलार के कुपरिणामों को उभरती हुई सामाजिक समानता एवं मानवाधिकार की महत्त्वपूर्ण बानगी पेश करती है। इस प्रकार, विष के दाँत कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट होती है।
प्रश्न 5. मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार क्या बताना चाहता है ?
उत्तर –मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार समाज में फैली असमानता के बारे में बताना चाहते हैं। कहानी में मदन और ड्राइवर दोनों ही एक तरह से सेन साहब के नौकर है। लेकिन, दोनों के विचारों में असमानता है। असमानता के कारण ही मदन द्वारा गाड़ी के छुए जाने पर ड्राइवर मालिक के प्रति अपनी कर्तव्यपरायणता साबित करने के लिए मदन को धकेल देता है। इस विवाद के द्वारा कहानीकार गरीब के अंदर में पनपते विरोध को भी बताना चाहते थे क्योंकि मदन बार-बार ड्राइवरी पर है।
प्रश्न 6. काशु और मदन के बीच झगड़े का क्या कारण था ? इस प्रसंग के माध्यम से लेखक क्या दिखाना चाहता है ?
उत्तर – काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण मदन के मन का द्वेष और काशू द्वारा मदन पर हाथ चलाना था। मदन गली में अपने साथियों के साथ लट्टू खेल रहा था। काशू भी वहाँ पहुँचा और खेलना चाहा। किन्तु, मदन ने उसे खेलने से मना किया, इस पर काशू ने घूँसा चला दिया। मदन भी उस पर टूट पड़ा। लेखक इस प्रसंग में दिखाना चाहता है कि अदब और रोआब की परवाह बड़ों को होती है। बच्चे तो बच्चे हैं, उन्हें भला फिक्र किस बात की। सो, काशू की हरकत पर मदन ने उसका सही जवाब दे दिया। परिणाम चाहे जो भी हो।
प्रश्न 7. सेन साहब काशू को विद्यालय पढ़ने के लिए क्यों नहीं भेजना चाहते हैं ?
उत्तर – सेन साहब काशू को बिजनेसमैन, इंजीनियर बनाना चाहते हैं । इसके लिए उन्होंने घर पर ही कारखाने का बढ़ई मिस्त्री दो एक घंटे के लिए आकर उसके साथ कुछ ठोक पीट किया करे । इससे बच्चे की ऊँगलियाँ अभी से औजारों से वाकिफ हो जाएगी। ऐसा सेन साहब ने व्यवस्था किया था । इसलिएकाशू को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं।
प्रश्न 8. मदन हक्का-बक्का क्यों रह गया ?
उत्तर – मदन हक्का-बक्का इसलिए रह गया क्योंकि उसके पिता हमेशा उसको पीटते रहते थे। लेकिन, एक दिन मदन दबे पाँव बरामदे में रखी चारपाई की तरफ सोने के लिए चला, तो अँधेरे में उसका पैर लोटे में लग गया! लोटे की गिरधर बाहर निकल आया। मदन की अम्मा भी ठन्-ठन् की आवाज सुनकर उसके साथ थी। मदन चौंकर घूमा और मार खाने की तैयारी में आ छाती को अपने हाथों से बाँधकर खड़ा हो गया। गिरधर निस्सहाय निष्ठुरता के साथ मदन की ओर बढ़ा। मदन ने अपने दाँत भींच लिए। गिरधर मदन के बिल्कुल पास आ गया था कि अचानक वह ठिठक गया। उसके चेहरे से नाराजगी का बादल हट गया। उसने लपककर मदन को हाथों से उठा लिया। मदन हक्का-बक्का अपने पिता को देख रहा था। उसके याद नहीं, उसके पिता ने कब उसे इस तरह प्यार किया था।
प्रश्न 9. सेन साहब के और उनके मित्रों के बीच क्या बातचीत हुई और पत्रकार मित्र ने उन्हें किस तरह उत्तर दिया ?
उत्तर –सेन साहब और उनके मित्रों के बीच अपने-अपने बच्चों की कर किसी ने उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा। पर, पत्रकार महोदय के जवाब देने के पहले ही सेन साहेब बोल उठे कि मैं खोखा को इंजीनियर बनाने जा रहा हूँ और, बार-बार यही दुहराते रहे हैं। जब पत्रकार महोदय से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ” चाहता हूँ मेरा बेटा जेंटलमैन जरूर बनें और जो कुछ बनें, उसकाbकाम है, उसे पूरी आजादी रहेगी ।”
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. ‘विष के दाँत’ कहानी का सारांश लिखे?
उत्तर – प्रस्तुत कहानी ‘विष के दाँत’ आचार्य नलिन विलोचन शर्मा द्वारा वर्ग के अनेक अन्तर्विरोधों को उभारती है। इस कहानी में लेखक ने सामाजिक भेदभाव, लिंग भेद तथा स्वार्थ की छाया में पलते हुए प्यार-दुलार के कुपरिणामों को उजागर किया है। सेन साहब को अपनी कार पर बड़ा नाज था। घर में कोई ऐसा न था जो गाड़ी तक बिना इजाजत फटके । पाँचों लड़कियाँ माता-पिता का कहना अक्षरश: पालन करतीं थी। किन्तु, बुढ़ापे में उत्पन्न खोखा पर घर का कोई नियम लागू न होता था। अतः गाड़ी को खतरा था तो इसी खोखा अर्थात् काशू से । सेन साहब अपने लाडले को इंजीनियर बनाना चाहते थे। वे बड़ी शान से मित्रों से अपने बेटे की काबलियत की चर्चा करते थे । एक दिन मित्रों की गप्प-गोष्ठी और काशू के गुण-गान करने के बाद सेन साहब उठे ही थे कि बाहर गुल सपाड़ासुना । निकले तो देखा कि शोफर गिरधारी की पत्नी से उलझ रहा है और उसका बेटा मदन शोफर पर झपट रहा है। शोफर ने कहा कि मदन गाड़ी छू रहा था और मना करने पर उधम मचा रहा था। सेन साहब ने मदन की माँ को चेतावनी दी और अपने किरानी गिरधर को बुलाकर डाँटा-अपने बेटे को संभालो घर आकर गिरधारी ने मदन को खूब पीटा । दूसरे दिन बगल वाली गली में मदन दोस्तों के साथ लट्टू खेल रहा था । काशू भी खेलने को मचल गया। किन्तु, मदन ने लट्टू देने से इनकार कर दिया। काशू की आदत तो बिगड़ी थी। बस, आदतवश, हाथ चला दिया। मदन ने भी मार-मार कर काशू के दाँत तोड़ दिए । देर रात मदन घर आया तो सुना कि सेन साहब ने उसके पिता को नौकरी से हटा दिया है और आउट हाउस से भी जाने का हुक्म दिया है। मदन के पैर से लोटा लुढ़क गया । आवाज सुनकर उसके माता-पिता निकल आए। मदन मार खाने को तैयार हो गया। गिरधारी उसकी ओर तेजी से बढ़ा । किन्तु, सहसा उसका चेहरा बदल गया। उसने मदन को गोद में उठा लिया, ‘शाबाश बेटा….. .. एक मैं हूँ…. और एक तू है जो खोखा के दो-दो दाँत तोड़ डाले इस प्रकार, कहानीकार ने ‘विष के दाँत’ में उच्च वर्ग के सेन साहब की महत्त्वाकांक्षा, सफेदपोशी के भीतर लड़के-लड़कियाँ में विभेद भावना,नौकरी-पेशा वाले गिरधारी की हीन भावना और उसके बीच अन्याय का प्रतिकार करनेवाली बहादुरी और साहस के प्रति प्यार और श्रद्धा को प्रस्तुत करते हुए प्यार-दुलार के
कुपरिणामों को बखूबी दर्शाया है।