हिंदी (गद्यखंड) पाठ -6.बहादुर

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. अपने शब्दों में पहली बार दिखे बहादुर का वर्णन कीजिए। [2011AI]
उत्तर- पहली बार दिखा बहादुर अपनी आँखें मटका रहा था। उसकी उम्र उस समय बारह-तेरह वर्ष की थी। उसका शरीर ढिगना चकइठ था। उसका रंग गोरा और मुँह चपटा था। वह सफेद नेकर, आधी बाँह की सफेद कमीज और भूरे रंग का पुराना जूता पहने था। उसके गले में स्काउटों की तरह एक रूमाल बँधा था।

प्रश्न 2. बहादुर अपने घर से क्यों भाग गया था ?
अथवा, किन कारणों से बहादुर ने एक दिन लेखक का घर छोड़ दिया ?  ‘बहादुर’ शीर्षक कहानी के अनुसार लिखें ।
[2024AII] [2011AI, 2019AI, 2022C]
उत्तर- बहादुर के पिता का निधन युद्ध में हो गया था। उसकी माँ उसका भरण-पोषण करती थी। माँ उसकी बड़ी गुस्सैल थी। उसकी गलतियों पर काफी पीटती थी। एक दिन भैंस की पिटाई का काल्पनिक अनुमान करके उसकी माँ एक डंडे से बहादुर की दुगुनी पिटाई की और उसको वहीं कराहता हुआ छोड़कर घर लौट गई। इससे बहादुर का मन माँ से फट गया और वह घर से भाग गया।

प्रश्न 3. बहादुर के चले जाने पर सबको पछतावा क्यों होता है ? [2011C, 13C, 22AI]
उत्तर-बहादुर सीधा-सादा लड़का था । उससे सबको आराम मिलता था और सबके अहंकार की तुष्टि होती थी। लोग उसे नाहक मारते और गाली भी देते थे तथा चोरी का इल्जाम लगाकर अपमानित भी किया। उसके चले जाने पर सबको अपनी भूल का एहसास हुआ, इसलिए पछतावा हुआ।

प्रश्न 4. ‘बहादुर’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए ।[2012C] लेखक ने इसका शीर्षक ‘नौकर’ क्यों नहीं रखा ?
उत्तर- ‘बहादुर’ शीर्षक कहानी के अनुकूल है। यह कहानी का केन्द्र-बिन्दु है क्योंकि पूरी कहानी उसी पर आधारित है। यह शीर्षक बोलने में सीधा तथा है । प्रथम दृष्टि में, कहानी आकर्षक तथा गूढार्थ के लिए भी दिखता है। कहानी की कथावस्तु शीर्षक के साथ काफी मेल खाती है। अत: यह शीर्षक पूरा सार्थक है सरल  लेखक बहादुर को घर के सदस्य की तरह मानता था और उसका चरित्र भी बिल्कुल साफ-सुथरा था। इसलिए उसकी स्मृति में लिखी गयी इस कहानी को शीर्षक नौकर रखना उसे उचित नहीं लगा ।

प्रश्न 5. बहादुर के आने से लेखक के घर और परिवार के सदस्यों पर कैसा प्रभाव पड़ा ?2013C]
उत्तर-‘बहादुर के आने से लेखक के घर और परिवार के लोगों का दिन मजे से कटने लगा। बहादुर के आने से लेखक के घर और परिवार के लोगों पर रौनक छा गयी थी। सब उससे छेड़ खानियाँ करते तथा उसके खाने और नाश्ते की बड़ी फिक्र रहती । निर्मला पड़ोसियों को नौकर के प्रति अपनी दिलदारी सुनाती । लड़के, बच्चे अपना रोब-द्वाब दिखाते। घर के लोग आराम तलब हो गये ।

प्रश्न 6. बहादुर पर ही चोरी का आरोप क्यों लगाया जाता है और उस पर इस आरोप का क्या असर पड़ता है ?[2017AII]
उत्तर- लेखक के घर आए रिश्तेदार ने सोचा कि इस घर में बहादुर नौकर है और वह बाहरी सदस्य है। उस पर आरोप लगाने से इस घटना को वास्तविक मान लेंगे। ईमानदार बहादुर को इस घटना पर अत्यंत क्षोभ होता है। उसकी आत्मा को कष्ट होता है। वह उदास रहने लगता है। इस घटना के बाद उससे दुर्व्यवहार बढ़ जाता है। लेखक का लड़का तो जैसे उसकी जान के पीछे पड़ गया। अन्ततः बहादुर चोरी के आरोप के कारण लेखक का घर छोड़कर चल जाता है।

प्रश्न 7. बहादुर ने लेखक का घर क्यों छोड़ दिया ? [2019A]
उत्तर- एक दिन लेखक के घर आए रिश्तेदार ने बहादुर पर रुपये चोरी का आरोप लगा देता है। गलत आरोप के कारण बहादुर इनकार कर दिया। फिर भी, उसे डराया धमकाया और पीटा जाता है। इस घटना के बाद बहादुर काफी डाँट-मार खाने लगा। घर के सभी लोग कुत्ते की तरह दुर–दुराया करते। किशोर तो जैसे उसकी जान के पीछे पड़ गया था। ईमानदार बहादुर को इस घटना पर अत्यन्त क्षोभ होता है और वह लेखक का घर छोड़कर चला जाता है।
गया था ?

प्रश्न 8. लेखक को क्यों लगता है कि नौकर रखना बहुत जरूरी हो [2020AII, 2024AII]
उत्तर– लेखक के सभी रिश्तेदार अच्छे ओहदों पर थे और उन सभी के यहाँ नौकर थे। लेखक जब बहन की शादी में घर गया तो वहाँ नौकरों का सुख देखा। उनकी दोनों भाभियाँ रानी की तरह बैठकर चारपाइयाँ तोड़ती थी, जब कि पत्नी निर्मला को सवेरे से लेकर रात तक खटना पड़ता था। वापस आने पर उनकी पत्नी निर्मला दोनों जून नौकर-चाकर की माला जपने लगी और भाग्य को कोसते अपने को अभागिन और दुखिया स्त्री मानने लगी। ऐसी परिस्थितियों में, लेखक ‘को नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया था।  बहादुर सीधा-सादा लड़का था। उससे सबको l आराम से मिलता था और सबके अहंकार की तुष्टि होती थी। लोग उसे नाहक मारते और गाली भी देते थे तथा चोरी का इल्जाम लगाकर अपमानित भी किया। उसके चले जाने पर सबको अपनी भूल का एहसास हुआ। इसलिए पछतावा हुआ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. ‘बहादुर’ शीर्षक कहानी छोटा मुँह बड़ी बात कहती है। इस दृष्टि से ‘बहादुर’ कहानी पर विचार करें लिखी गई है[2018AJ]
उत्तर- बहादुर शीर्षक कहानी हिन्दी के सशक्त कथाकार अमरकांत द्वारा बहादुर एक गरीब नेपाली मूल का लड़का था। वह लेखक के यहाँ नौकर के रूप में लाया गया था। वह एक हँसमुख और मेहनती था। बहादुर गरीब तो था । किन्तु, ईमानदार । वह नौकर था। लेकिन, कर्त्तव्यनिष्ठ और स्वाभिमानी था। बहादुर सामाजिक और आर्थिक स्थिति में मालिक के आगे बौना था । किन्तु, अपनी विश्वसनीयता, सच्चाई और ईमानदारी के बल पर लेखक को अनुभव करने पर विवश कर देता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि कहानी छोटा मुँह बड़ी बात कहती हैं।

व्याख्या करें: “
अगर वह कुछ चुराकर ले गया होता तो संतोष हो जाता।[2024AI]
उत्तर- हिन्दी कथा-साहित्य के महान् कथाकार अमरकान्त द्वारा लिखित हामी ‘महादुर’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है । इसमें कथाकार ने आपके साथ अपनी सेवा देने वाले नौकर बहादुर के त्याग पर अपनी अटकी है जब शाम में कार्यालय से घर लौटा तो पत्नी एवं पुत्र किशोर को अपनी पतियों पर अफसोस प्रकट करते हुए देखा । लेखक को अपनी पत्नी की उस बात पर कि अतिथि ने अपनी गलती तथा लाज छिपाने के लिए ऐसा प्रपंच इच्छा था । बहादुर निर्दोष था । उसने रुपये नहीं चुराए थे। लेखक इस बात से आहत होता है तथा उसे अपनी गलती महसूस होती है। लेखक इससे भी अधिक तब दुःखी होता है जब वह जानता है कि वह खाली हाथ गया है। उसके सारे सामान यही है । लेखक उसकी सेवा एवं त्याग पर अनुभव करता है कि स्वाभिमानी व्यक्ति देखा नहीं प्रेम का भूखा होता है। वह आन्तरिक व्यथा प्रकट करते हुए कहता है “अगर वह कुछ चुराकर ले गया होता तो संतोष हो जाता ।” लोक में ऐसा कहकर बहादुर के प्रति कृतज्ञता तथा अपनी लघुता या आत्मग्लानि का भाव प्रकट किया है।

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