हिंदी (पद्यखंड) पाठ – 5.भारतमाता

लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. कवि की दृष्टि में आज भारतमाता का तप-संयम क्यों सफलहै ?[2011C, 2023AJI
उत्तर- कवि ने तप-संयम की सफलता के विषय में कहकर महात्मा गाँधी के सत्य-अहिंसा की ओर संकेत किया है। कवि का कहना है कि गाँधीजी ने अहिंसा रूपी अमृत रस का पान कराकर लोगों के भीतर स्थित भय, आतंक तथा अज्ञानता को नष्ट कर दिया है। तात्पर्य यह कि गाँधीजी के अहिंसात्मक संघर्ष ने देशवासियों में एक ऐसा विश्वास पैदा कर दिया है कि संगठन में वह व्यक्तित्व होती है जो महान से महान शक्तिशाली को समूल नष्ट कर सकता है । कवि का मानना है कि गाँधी के विचार ने लोगों पर जादू-सा प्रभाव डाला है । लोगों में राष्ट्रीयता की भावना स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए जोर मारने लगी है। लोग भारतमाता की आजादी के लिए तन-मन-धन से जुट गए हैं। अहिंसा रूपी अस्त्र ने देशवासियों में एक ऐसा चमत्कार पैदा कर दिया है कि वे फिरंगी को जड़ से उखाड़  फेंककर ही दम लेंगे ।

प्रश्न 2. भारतमाता कहाँ निवास करती है ?[2012A]
उत्तर- भारतमाता गरीब, दुखियों के घर निवास करती है । भारतमाता का निवास गाँव है, जहाँ ये गरीब गुजर-बसर करते हैं ।

प्रश्न 3. समस्त भूमण्डल में सर्वविद “सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण देश भारत है।” लेखक ने ऐसा क्यों कहा है ? [2012A]
उत्तर-भारत एक प्राचीन देश है। यहाँ आज भी ऐसी वस्तुओं के दर्शन हो सकते हैं, जो सिर्फ पुरातन विश्व में ही सुलभ हो सकते हैं। ऐसे स्थल और जीवन-शैली आप पाएँगे जो अन्यत्र नहीं मिलेंगे। साथ ही, एक अत्यन्त बड़ा देश है, जहाँ तेजी से बदलाव आ रहा है । शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान, कृषि, राजनीति प्रति पल आगे बढ़ने के लिए कसमसा रही है । गाँवों में परिवर्तन दिखाई पड़ रहा
है। सीखने या सिखाने योग्य कोई ऐसी बात नहीं जो यहाँ न मिले। अतएव, भारत अतीत की ओर सुदूर भविष्य को जोड़ता है ।

प्रश्न 4. भारतमाता कविता में कवि भारतवासियों का कैसा चित्र  खींचता है ? [2013A, 2022AII]
उत्तर- कवि के अनुसार, हमारा भारत देश कभी अतीत में सभ्य, सुसंस्कृत, ज्ञानी और वैभवशाली रहा था। लेकिन, आज उसी देश के लोग शोषण की चक्की में पिसते हुए भरपेट भोजन एवं पूर्ण वस्त्र के लिए जूझ रहे है। जिस देश ने महान ज्ञानी एवं विद्वानों को जन्म दिया तथा जिस देश में महान् बंद था रचना हुई, उसी देश में फूट के कारण मूढ, असभ्य, अशिक्षित, निर्धन आदि लोगों की भरभार है। अतः भारतमाता कविता में कवि दुखी, मैले-कुचैले
आँखों में आँसू भरे, भूखे, नंगे, शोषित, मुर्ख, डरे हुए, कुंठित मन, काँपते ओटा वाले और निर्धन भारतवासियों का चित्र खींचता है।” कहता है ?

प्रश्न 5. कवि भारतमाता को ‘गीता प्रकाशिनी’ मानकर भी ज्ञानमूद [2013C, 2022C]
उत्तर- कवि भारतमाता अर्थात् देशवासियों को ज्ञानमूढ़ इसलिए कहता है. क्योंकि अर्जुन की अज्ञानता नष्ट करने के लिए ही श्रीकृष्ण को गीता का उपदेश देना पड़ा था । स्वयं श्रीकृष्ण ने अपने उपदेश में कहा भी था कि अज्ञानता के कारण ही व्यक्ति स्वार्थी अथवा मोहग्रस्त होता है, जो उसे विनाश की ओर ले जाता है । अतः कवि के कहने का तात्पर्य है कि गीता के मर्म को जानते हुए भी देशवासी अपने पर हो रहे जुल्म का विरोध नहीं करते हैं। इसलिए कवि भारतमाता को ज्ञानमूढ़ कहता है ।

प्रश्न 6. सुमित्रानंदन पंत का जन्म कब हुआ था ?[2013C]
उत्तर- सुमित्रानंदन पंत का जन्म 1900 ई. में कौसानी वर्तमान उत्तराखंड में हुआ था।

प्रश्न 7. भारतमाता का ह्रास भी राहुग्रसित क्यों दिखाई पड़ता है ? 2016AIT, 2019AII]
उत्तर- भारत का अतीत चाहे जितना भी गरिमापूर्ण रहा हो, लेकिन वर्त्तमान को देखते हुए धन-वैभव, शिक्षा-संस्कृति, जीवनशैली आदि तमाम दृष्टियों भारतमाता आज भी गरीब दिखाई देती है। आज भी उनके संतान कष्ट में दिखाई रहे हैं, जिसके कारण वो हँसते हुए भी हँस नहीं पाती है, अधरों पर मुस्कान
फैलकर ही रह जाती है। अर्थात् इनकी हँसी पर ग्रहण लग गया है। इसलिए भारतमाता का ह्रास भी राहग्रसित दिखाई देता है।

प्रश्न 8. भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी क्यों बनी हुई है ? दशा अ गंगा-य बोली [2017AI, 2017AII,।2019AI]
उत्तर- अपनी दीनता में जकड़े होने के कारण झुकी हुई नजरों वाली, सतत नि:शब्द रोदन वाली और हमेशा खिन्न मन से रहने के कारण भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी (विदेश में रहने वाली) की तरह कष्ट में है। विदेशी सहन करना पड़ रहा है। देश की सम्प्रभुता नष्ट होने के कारण सारे साधनों पर अंग्रेजों का अधिकार है। वे उसी के मर्जी से किसी साधनों का उपयोग कर सकते हैं अथवा नहीं।।इस कारण, भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी बनी हुई हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
स्वर्ण शस्य पर पद तल लुंठित,
धरती-सा सहिष्णु मन कुंठित,
क्रन्दन कंपित अक्षर मौन स्मित,
राहु ग्रासित शरदेन्दु हासिनी।|2018A1
उत्तर- सप्रसंग व्याख्या : भारतमाता शीर्षक पाठ से उद्धृत प्रस्तुत पंक्तियाँ के माध्यम से कवि पंत जी ने पूर्वजों के शौर्य एवं पराक्रम का वर्णन करते के लिए खून की नदियाँ बहा दी थीं, जिनकी सम्पन्नता तथा यशोगाथा का विशाल देशवासियों को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि जिन्होंने अपने आन-बान-सम्मान इतिहास है, उसी देश के निवासी आपसी संघर्ष के कारण फिरंगी सरकार के अन्याय, जुल्म तथा शोषण के विरुद्ध बिना कुछ बोले धरती के समान सहनशीलता के साथ सहन कर रहे हैं। कवि देशवासियों की ऐसी प्रवृत्ति पर खीझ प्रकट करते हुए कहता है कि लगता है, पराधीनता ने इनके स्वाभिमान को उसी प्रकार नष्ट कर र दिया है, जैसे-शरद पूर्णिमा की चाँदनी राहु ग्रसित होने अर्थात् ग्रहण लगने पर नष्ट हो जाती है। तात्पर्य कि जैसे सूर्य ग्रहण लगने पर दिन भी अंधकारमय हो। जाता है, उसी प्रकार देशवासी पराधीनता के कारण अपनी उज्ज्वल-गाथा को अज्ञानरूपी अंधकार में डूबे हुए है। इसीलिए कवि देशवासियों को भारतमाता के प्राचीन गौरव को पुर्नस्थापित करने के लिए प्रेरित करता है।ד

प्रश्न 2. निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ लिखें।
भारतमाता ग्रामवासिनी
खेतो में फैला है श्यामल
धूल भरा मैला सा आँचल भूल [2019AII]
उत्तर- कवि का कहना है कि जिन्हें भारत की आत्मा कहा गया, जिनका खेत सदा शस्य-श्यामला रहते थे, आज वे दीन-हीन तथा दास अपनी दुर्दशा कारोना क्यों रो रहे हैं। दिन भर खेतों में काम करने वाले अन्नदाता दुःखी क्यों है। इन प्रश्नों के माध्यम से कवि ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि जिस देश के गाँवों की सम्पन्नता, सभ्यता, संस्कृति आदि इतिहास के पन्नों पर स्वर्णाक्षरों में अंकित है, आज हर दृष्टि से पिछड़ा एवं उदास है।
अतः कवि के कहने का तात्पर्य है कि जमींदारों के शोषण के कारण ग्रामीण किसानों की दशा अति करूणाजनक है। उनकी ऐसी दशा देखकर कवि को लगता है कि गंगा-यमुना का जल उन्हीं व्यक्तियों के अश्रुजल है। भाषा तत्सम प्रधान खड़ी बोली है। ‘मैला-सा आँचल’ में उपमा अलंकार है। किसानों की दशा का मार्मिक चित्रण है तथा पीड़ा का करूण गान है।

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