जित जित मैं निरखत हूँ 

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. लखनऊ और रामपुर से बिरजू महाराज का क्या संबंध था ? [2012A]
उत्तर- महान् प्रतिभाशाली कलाकार पंडित बिरजू महाराज का जन्म 1938में हुआ था। ई० में लखनऊ में हुआ था जबकि उनकी बहनों का जन्म रामपुर लखनऊ में उन्होंने बहुत समय तक अपना जीवन व्यतीत किया था। लखनऊ में ही उनकी मुलाकात निर्मला जी से हुई थी जिन्होंने उन्हें कथक डांस करने की सलाह दी थी, जिस कारण उनके जीवन की नई शुरूआज हुई। इस प्रकार, लखनऊ और रामपुर से बिरजू महाराज का घनिष्ठ संबंध था।

प्रश्न 2. बिरजू महाराज के गुरू कौन थे ? उनका संक्षिप्त परिचय दें। [2013A, 2014AI, 2019AII]
उत्तर- बिरजू महाराज के गुरु इसके पिता थे जिनका नाम लच्छू महाराज था। इनके पिता प्रख्यात नर्त्तक थे। बिरजू महाराज के जन्म के समय उनके पिता रायगढ़ आदि राजाओं के यहाँ थे। 54 साल की उम्र में ‘लू’ लगने से उनकी मृत्युहो गई। बिरजू महाराज की माँ भी उनकी गुरू थी। बिरजू महाराज के अनुसार, उनकी माँ उनके लिए एक्जामिनर जज थी। बिरजू महाराज को अपने पिता के कला-ज्ञान पर गर्व था तो माँ पर अतिविश्वास। इसी कारण, बिरजू महाराज ने अपने पिता को गुरू तथा माता को गुरुवाइन के रूप में माना।

प्रश्न 3. शम्भू महाराज के साथ बिरजू महाराज के संबंध पर प्रकाश डालिए ।[2013C]
उत्तर- शम्भू महाराज बिरजू महाराज के चाचा थे । बिरजू महाराज को बचपन से उनका मार्गनिर्देशन मिला । भारतीय कलाकेन्द्र में उनका सान्निध्य मिला। उन्हीं का सहायक रहकर बिरजू महाराज ने सफलता प्राप्त की । शम्भूमहाराज के साथ बिरजू महाराज बचपन में नाचा करते थे ।

प्रश्न 4. कलकत्ते के दर्शकों की प्रशंसा का बिरजू महाराज के नर्तक मन पर क्या प्रभाव पड़ा ? [2013C]
उत्तर– कलकत्ते के एक कॉन्फ्रेंस ने बिरजू महाराज के नाच पर खूब प्रशंसा की। इस प्रशंसा का बिरजू महाराज पर काफी असर हुआ । इनके जीवन में एक नया मोड़ आया और आगे उन्होंने इतने कठोर मेहनत की कि वे हमेशा बढते ही रहे । कलकत्ते के प्रोग्राम के बाद बिरजू महाराज का नाम अखबारों में छपा और उनका आत्मविश्वास जागा ।

प्रश्न 5. बिरजू महाराज की अपने शागिर्दों के बारे में क्या राय है ? [2014AII]
उत्तर- बिरजू महाराज अपनी शिष्या रश्मि वाजपेयी को भी अपना शागिर्द.मानते हैं। वे उन्हें शाश्वती कहते हैं। इसके साथ-साथ वैरोनिक, फिलिप, मेक्लीन, टॉक, तीरथ प्रताप, दुर्गा इत्यादि को उन्होंने प्रमुख शागिर्द बताया है। वे लोग नृत्य हुए हैं।के क्षेत्र में प्रगति कर रहे हैं और प्रगतिशील बने

प्रश्न 6. बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज किसको मानते थे ?[2018AI]
उत्तर- बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज अपनी माँ को मानते थे। जब भी वे नाच देखती थी तो बिरजू जी पूछते थे कि गलत तो नहीं कर रहा हूँ। उनका पूछने का मतलब था कि बाबूजी वाला ढंग है न; कहीं गड़बड़ तो नहीं हो रही। माँ कहती थी कि नहीं बेटा। उन्हीं की तुम तस्वीर हो। बैठने उठने, बोलने, नृत्य करने का सारा कुछ पिता का ही है। इस प्रकार बिरजू महाराज की माँ जज के रूप में निर्णय देकर बेटे को प्रोत्साहित करती थी।

प्रश्न 7. बिरजू महाराज के जीवन में सबसे दुखद समय कब आया ?[2020]
उत्तर- बिरजू महाराज के जीवन में सबसे दुखद समय उस समय आया जब उनके पिता की मृत्यु हुई। तब बिरजू महाराज केवल साढ़े नौ साल के थे। घर की हालत बहुत खस्ता थीं। घर में इतने भी पैसे नहीं थे कि उनका दसवाँ हो सकें। इसके लिए बिरजू महाराज ने दो कार्यक्रम करके 500 रुपये जमा किये तब जाकर पिताजी की तेरहवीं हुई। पिता की मृत्यु और उस हालत में नाचना बिरजू महाराज के लिए बड़ा दुःखद अनुभव था।

प्रश्न 8. नृत्य की शिक्षा के लिए पहले-पहले बिरजू महाराज किस संस्था से जुड़े और वहाँ किनके सम्पर्क में आएँ ? [2021AII]
उत्तर- नृत्य की शिक्षा के लिए सर्वप्रथम बिरजू महाराज दिल्ली की ‘हिन्दुस्तानी डान्स म्यूजिक’ संस्था से जुड़े। वहाँ लीला कृपलानी और कपिला जी के सम्पर्क में आए।

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