लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. लेखक आवियो किस में गए थे ? यहाँ उन्होंने क्या देखा सूना ?
उत्तर- लेखक वियों में आयोजित होने वाले रंग समारोह में नियंत्रित होने पर मिल होने गए थे । काकिया । आविन्या सोन नदी के किनारे एक नगर है। यहाँ की राजधानी थी। यहाँ लेखक ने कियों से कुछ दूर पत्थरों की एक खदान में रंग- समारोह की अन्य प्रस्तुति देखी। इस समारोह के दौरान वहाँ अनेक चर्च और पुराने स्थान रंगस्थतियों में बजाते थे। लेखक ने वहाँ समारोह की ती देवी महा काव्यात्मक | कुमार का भी नाम लेता। यह सब देखकर लेखक मांचित हो गया । हैं
2. हर बरस आवित्यों में कब और कैसा समारोह हुआ करताहै ? (2014AII)
उत्तर-आवियों, दक्षिण फ्रांस में न नदी के किनारे बसा पुराना शहर है। जहाँ कुछ समय के लिए पोप की राजधानी थी और अब गर्मियों में फ्रांस और यूरोप का एक अत्यंत प्रसिद्ध और लोकप्रिय रंग समारोह हर बरस होता है। रंगकर्मी, रंग, संगीतकार, अभिनेता, नाटककार आदि वहाँ आते हैं और रचनात्मक कार्य करते हैं।
प्रश्न 3, नदी के तट पर लेखक को किसकी याद आती है और क्यों ? [2014C]
उत्तर-नदी के तट पर लेखक को विनोद कुमार शुक्ल की याद आती है, क्योंकि उन्होंने अपनी कविता में ‘नदी चेहरा लोगों’ से मिलने की बात कही है। लेखक का कहना है कि नदी किनारे रहने वाले ही नदी-चेहरा नहीं हो जाते बल्कि
वे भी नदी- चेहरा हो जाते, जो नदी के किनारे बैठते हैं। तात्पर्य यह कि यदि कोई नदी के किनारे बैठकर नदी को, कल-कल छल-छल करती धारा की मधुर ध्वनि का आनंद लेता है, वह भावुकतावश कल्पना लोक में विचरण करने लगता है और रस सिक्त ह्रदय की भाँति किसी को अनदेखी नहीं करता, अपितु सबको समान रूप में काव्य-रस से अभिसिंचित करता है।
प्रश्न 4, लेखक आविन्यों क्या साथ लेकर गए थे और वहाँ कितने दिनों तक रहे ? लेखक की उपलब्धि क्या रही ? [2015C, 2016AIJ
उत्तर-लेखक आवित्यों के यात्रा में अपने साथ टाइपराइटर मशीन, तीन-चार पुस्तकें और संगीत के कुछ टेप्स ले गए थे। जहाँ लेखक उन्नीस दिन तक रहे। इस अवधि में लेखक ने पैतीस कविताएँ और सत्ताईस गद्य रचनाएँ लिखीं ।
प्रश्न 5. ला शत्रुज का अन्तरंग विवरण अपने शब्दों में प्रस्तुत करते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने उसके स्थापत्य को ‘मौन का स्थापत्य’ क्यों कहा है ?[2018C]
उत्तर-‘ला शत्रूज’ में दो-दो कमरों के सुसज्जित चैम्बर्स है। यहाँ आधुनिक रसोईघर और स्नानघर भी हैं। अत्याधुनिक संगीत व्यवस्था उपलब्ध है । ला शत्रुज के प्रत्येक चैम्बर्स का मुख्य द्वार कब्रगाह के चारों ओर बने गलियारों में खुलते हैं। पीछे भी दरवाजा तथा आँगन है। चूँकि कार्थसियन सम्प्रदाय मौन में विश्वास करता है । यहाँ बिल्कुल मौन रहता है । इसलिए लेखक ने इसके स्थापत्य को ‘मौन का स्थापत्य’ कहा है