अति सूधो सनेह को मारग है
मो अँसुवनिहिं लै बरसो
लघु उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. कवि प्रेममार्ग को ‘अति सूधो’ क्यों कहता है ? इस मार्ग की विशेषता है ?[2013A]
उत्तर- प्रेममार्ग में टेढ़ापन तथा धूर्त्तता लेश मात्र नहीं होते हैं। हृदय की उपज होने के कारण यह भाव प्रधान होता है। सच्चा प्रेम अनन्त की ओर ले जाता है। प्रेममार्ग की विशेषता है कि इसमें सिर्फ वे लोग ही चल सकते हैं जिसके मन में छल-कपट, धोखा, प्रपंच आदि न हो। प्रेममार्ग में पूर्ण समर्पण का भाव निहित होता है। इस मार्ग पर चलने वाले को अलौकिक सुख व ईश्वर की प्राप्ति होती है। इसलिए कवि ने प्रेममार्ग को ‘अति सुधो’ कहता है, अर्थात् यह मार्ग अति सरल, सहज तथा सुगम होता है।
प्रश्न 2. परहित के लिए देह कौन धारण करता है ? स्पष्ट कीजिए। [2016AI, 2019AI, 2024AI]
उत्तर- परोपकारी या सज्जन लोग परहित के लिए देह धारण करते हैं। उनका कोई स्वार्थ नहीं होता है। उनके जिन्दगी का मुख्य लक्ष्य दुसरों को सुख पहुँचाना होता है। कवि ने परोपकारी या सज्जन व्यक्ति की तुलना बादल से करते हुए यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि जैसे बादल जल धारण कर संसार का ताप मिटाता है और बदले में कुछ भी लेता नहीं है। वैसे ही परोपकारी लोग दूसरों की भलाई करते हैं, बदले में कुछ नहीं लेते।
प्रश्न 3. ‘मन लेहु पे’ देहु छटॉक नहीं से कवि का क्या अभिप्राय है ? [2017AI]
उत्तर- यहाँ कवि का अभिप्राय है कि लोग प्रेम में केवल लेना चाहते हैं, त्याग नहीं करना चाहते हैं। जबकि प्रेम में केवल देना होता है, लेना कुछ नहीं। उस समय मन माप का सबसे बड़ा और छटाँक सबसे छोटा परिमाण माना जाता था।
प्रश्न 4. कवि अपने आँसुओ को कहाँ पहुँचाना चाहता है और क्यों ? [2019AII, 2023AII]
उत्तर- कवि घनानंद अपने आँसुओं को, दुखों को अपनी विश्वासघातिन प्रेमिका सुजान के आँगन में पहुँचाना चाहता है, क्योंकि उसका प्रेमी ही उसके हृदय का दुःख दूर कर सकता है।