हिंदी (पद्यखंड) पाठ – 4.स्वदेशी

लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. कवि के ‘डफाली’ किसे कहा है और क्यों ? [2011A]
उत्तर- कवि ने ‘डफाली’ उन्हें कहाँ है जो फिरंगी के विरोध के बजाय समर्थन करते हैं। वैसे लोग जिनका स्वाभिमान मर चुका है या देश-प्रेम की भावनाअपने सुखोपभोग की चमक-दमक में लुप्त हो गई है। तात्पर्य यह कि जो स्वार्थ सिद्धि के लिए फिरंगियों की झूठी प्रशंसा करने में मस्त हैं अथवा किसी पद या प्रतिष्ठा की प्राप्ति के लिए दिन-रात उसकी खुशामद करते हैं। कवि के कहने का आशय है कि ऐसे लोग जिन्हें न तो अपने आत्मसम्मान की चिन्ता है और न ही भारतीयता का ख्याल है, वैसे लोग ही डफाली (बाजा) बजाने वालों की तरह उसकी खुशामद तथा झूठी प्रशंसा करते हुए उसका जयगान कर रहे हैं। तात्पर्य कि सामंतवादी लोग सरकार के कृपापात्र इसलिए हैं कि वे जनता का शोषण करके अपनी तिजोरी भर रहे हैं तथा स्वयं स्वर्गीय सुख का आनन्द ले रहे हैं।

प्रश्न 2. कवि समाज के किस वर्ग की आलोचना करता है और क्यों ? [2011C, 2012A]
उत्तर- कवि समाज के उस वर्ग की आलोचना करता है, जो साम्राज्यवादी तथा सामंतवादी विचार के है तथा जिस वर्ग के लोग सम्पन्न है और अपन सम्पन्नता के बल पर अंग्रेज बन रहे हैं। अर्थात् वैसे वर्ग जो फिरंगियों के समर्थक बनकर स्वयं अंग्रेजी भाषा, वेश-भूषा, खान-पान आदि को अपनाकर अपने-आप को भारतीय कहना अनुचित मानने लगे हैं। इसी हीन प्रवृति के कारण कवि ने उच्च वर्ग की आलोचना की है।

प्रश्न 3. नेताओं के बारे में कवि की क्या राय है ?[2014AI, 2016AII, 2018AII)
उत्तर- नेताओं के बारे में कवि का कहना है कि अपनी विलासिता में होने के कारण उनसे अपनी खुद की धोती नहीं संभलती हैं तो वे देश क्या संभालेंगे। कवि की राय है कि इन नेताओं में न तो देश-प्रेम की भावना है और न ही त्याग की भावना । निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि देश के नेता स्वार्थी, विलासी तथा अंग्रेजों के पोषक है।

प्रश्न 4. स्वदेशी कविता का मूल भाव लिखें। [2016AI]
उत्तर- ‘स्वदेशी’ के दोहों की रचना के पीछे देश में फैले कुविचारों, रीतियाँ, नीतियों आदि को दूर कर लोगों में आत्म-सम्मान भरना एवं राष्ट्रीयता की भावना जागृत करना था। इसलिए कवि ने चुन-चुन कर उन विषयों पर दोहे लिखे है जिन्हें वह भारत और भारतीय के विरुद्ध समझता है। इस प्रकार, ‘स्वदेशी’ के दोहों का मुख्य लक्ष्य है- भारत और भारतीय तथा भारतीय भाषा, रहन-सहन, वेष-भूषा के प्रति प्रेम जाग्रत करना ।

प्रश्न 5. कवि को भारत में भारतीयता क्यों नहीं दिखाई पड़ती ?
उत्तर- कवि के अनुसार, लोग विदेशी रंग में रंगने के कारण अपनी सभ्यता-संस्कृति को भूल गए हैं। अंग्रेजी बोलना, अंग्रेज जैसी बात करना शान की बात समझने लगे हैं। तात्पर्य यह है कि पराधीनता के कारण भारतीय अपने पूर्वजों के गौरव को भूल गए है, जिस कारण उनका स्वाभिमान मर गया है। इस कारण कवि को भारत में भारतीयता नहीं दिखाई पड़ती है।

प्रश्न 6. कवि नगर, बाजार, अर्थव्यवस्था पर क्या टिप्पणी करता है ?
उत्तर-इस संबंध में कवि का कहना है कि अंग्रेजी शासन काल में भारतीय है उद्योग नष्ट हो गए । स्वदेशी निर्मित वस्तुओं का उपयोग बन्द हो गया क्योंकि मशीन निर्मित वस्तुओं की अपेक्षा हस्तनिर्मित वस्तुएँ महँगी है। फलत: हाट-बाजार, गाँव-नगर में विदेशी वस्तुओं का प्रभाव हो गया । यहाँ के कारीगर बेरोजगार हो गए और बेरोजगारी के कारण उनकी माली हालत खराब हो गई । हमारी अर्थव्यवस्था अति दयनीय स्थिति में पहुँच गई है। सर्वत्र विदेशी वस्तुएँ दृष्टिगोचर होने लगी है । अतः विदेशी वस्तुओं के प्रचार-प्रसार से स्वदेश निर्मित वस्तु पर विपरीत असर पड़ा और हमें गरीबी और फटेहाली में जाने के लिए विवश होना पड़ा, हमारी अर्थव्यवस्था नष्ट-भ्रष्ट हो गई ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. निम्न पंक्तियों का अर्थ लिखें–
सबै विदेशी वस्तु…….. नर……………………….…………………..के है ये क्रिस्तान। [2021AI]
उत्तर- कवि ‘प्रेमघन’ कहते हैं कि पराधीनता के कारण सर्वत्र विदेशी वस्तुएँ ही दिखाई पड़ती है। लोगों के चाल-चलन तथा रीति-रिवाज बदल गए है। दुःख है कि लोगों में भारतीयता की भावना मर गई है। देश-प्रेम की भावना देश में कहीं भी दिखाई नहीं देती।अंग्रेजी शासनकाल में हिन्दू-मुसलमान दोनों के रहन-सहन, खान-पान, विद्या-व्यवसाय, चाल-चलन तथा आचरण बदल गए है। विदेशी भाषा पढ़ने के कारण अपनी संस्कृति, भाषा सबका त्याग कर विदेशी चाल-चलन अपना लिए है । कवि लोगों की ऐसी मनोवृत्ति देख खिन्न हो जाता है, क्योंकि उन्हें स्वतंत्रता प्राप्ति तथा अपनी राष्ट्रभाषा के प्रति जागरूकता नहीं है। तात्पर्य यह कि विदेशी रंग में रंगने के कारण भारतीयों की पहचान भी नष्ट हो गई है

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