लघु उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. कवि की दृष्टि में आज के देवता कौन है और वे कहाँ मिलेंगे ? [2011A, 2011C, 2017AI, 2017C, 2020AII]
उत्तर- कवि की दृष्टि में आज के देवता सड़कों, खेतों, खलिहानों तथा कारखानों में काम करने वाले मेहनतकश हैं, जिनके प्रयास से देश का आर्थिक विकास होता है। नेता, अधिकारी या पदाधिकारी इन्हीं की मेहनत पर निर्भर करते हैं। कवि का मानना है कि कोई तभी समृद्ध हो सकता है जब उसके पास विशाल जनशक्ति होती है। तात्पर्य कि मजदूर एवं किसान ही देश की रीढ़ हैं। इसलिए कवि इन्हें देवता कहता है।
प्रश्न 2. ‘जनतंत्र का जन्म’ शीर्षक कविता का भावार्थ लिखें । [2011C]
उत्तर-उत्तर छायावाद के प्रखर कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित ‘जनतंत्र का जन्म’ शीर्षक कविता आधुनिक भारत में जनतंत्र के उदय का जयघोष है। सदियों की देशी-विदेशी पराधीनताओं के बाद स्वतंत्रता प्राप्त हुई और भारत में जनतंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा हुई है । जनतंत्र के ऐतिहासिक और राजनीतिक अभिप्रायों को कविता में उजागर करते हुए कवि यहाँ एक नवीन भारत का शिलान्यास-सा करता है जिसमें जनता ही स्वयं सिंहासन पर आरूढ़ होने वाली है ।
प्रश्न 3. दिनकर की दृष्टि में रथ का घर्घर नाद क्या है ? स्पष्ट करें। [2012A, 2014AI, 2022C]
उत्तर-कवि की दृष्टि में, समय के रथ का घर्घर-नाद भारत में जनतंत्र के उदय का जयघोष है या जनता के आने की आहट है। सदियों से भारत में राजतंत्र था। लेकिन, अब समय बदल गया है, जनता जाग उठी है। सदियों की देशी-विदेशी पराधीनता के बाद स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई है और जनतंत्र की प्राण प्रतिष्ठा की गई है।
प्रश्न 4. कविता का मूल भाव क्या है ? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए । [2013C]
उत्तर-कविता का मूल भाव जनतंत्र की स्थापना है । कवि इस शासन पद्धति के माध्यम से शोषक-शोषित के भेद को मिटाना चाहता है क्योंकि लोकतंत्र की इस व्यवस्था में शासन करने की शक्ति जनता के हाथ आ जाती है। फलतः सत्ता की मनमानी बन्द हो जाती है। इसमें संविधान द्वारा कुछ शक्तियाँ जनता को प्रदान की जाती है। इन शक्तियों का उपयोग जनता समान रूप में करती है । तात्पर्य कि जनता स्वयं ही सिंहासन पर आरूढ होती है और समान रूप में सबको कमाने, जीवन जीने तथा अपनी समस्या प्रस्तुत करने का अवसर मिलता है नीच -ऊँच, शोषित-शोषक, गरीब-अमीर सबकी शासन में भागीदारी होती है।
प्रश्न 5. “देवता मिलेंगे खेतो में खलिहानों में” पंक्ति के माध्यम से कवि किस देवता की बात करते हैं और क्यों ? [2014AII]
उत्तर-देवता मिलेंगे खेतों में खलिहानों में पंक्ति के माध्यम से राष्ट्रकवि दिनकर कहते हैं, इस नव युग के देवता देश को समृद्ध करने वाले गरीब मेहनतकश मजदूर और अन्नदाता कृषक हैं। ये न तो मंदिर, न तहखाना, न मस्जिद आदि में मिलेंगे बल्कि ये तो कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ते हुए मिलेंगे या खेतों।और खलिहानों में मेहनत करते हुए मिलेंगे।
प्रश्न 6. कवि ने जनता के स्वप्न का चित्र किस तरह खींचा है ? [2015A, 2016AII |
उत्तर-कवि ने जनता के अजेय स्वप्न का चित्र खींचा है। कवि का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है मानों यहाँ राज्याभिषेक राजा का नहीं, प्रजा का हो रहा है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जब जनतांत्रिक शासन पद्धति की स्थापना होगी तो शासन की शक्ति जनता में निहित हो जाएगी। जनता अपना शासन स्वयं करेगी।
प्रश्न 7. कवि ने जनता को दूध मुँही क्यों कहा है [2018AI]
उत्तर-कवि ने जनता को ‘दुधमूँही’ इसलिए कहा है क्योंकि उसे खुद का एहसास नहीं है और शोषण करने वाले जब चाहते हैं, उन्हें अपने हित के लिए, अपने सजावट के लिए उपयोग कर लेते हैं। जनता तो दुधमूँही बच्ची की तरह जन्तर-मन्तर के खिलौने से बहलायी जा सकती है।
प्रश्न 8. कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ किसके लिए सिंहासन खाली करने की बात करते हैं ? [2024AII]
उत्तर-कवि रामधारी सिंह दिनकर जनता के लिए या जनता के द्वारा भेजे गए प्रतिनिधियों के लिए सिंहासन खाली करने की बात कहते हैं ।
प्रश्न 9. व्याख्या करें :
“सदियों की ठंडी-बुझी राख सुगबुगा उठी,
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है ।” [2024AI]
उत्तर-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘जनतंत्र का जन्म’ शीर्षक पाठ से संकलित है, जिसके लेखक रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी है । कवि ने इन पंक्तियों के द्वारा तत्कालीन समय के राजा और प्रजा की स्थिति के बारे में बताया है । वे कहते हैं कि सदियों से दबी कुचली जनता अब अपने अधिकार को समझने लगी है । अब उसपर कोई शासन नहीं कर सकता । परंतु, निरर्थक कर्त्तव्यहीन राजा ताज पहनकर अपने भाग्य पर इठला रहा है। उसे यह नहीं पत है कि वह समय आ गया है जब जनता उसे गद्दी पर नहीं बैठने देगी, वह अपने पर जुल्म ढाने नहीं देगी, अब उसे न्याय चाहिए, अब वह खुद शासन करेगी