प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.मंगम्मा को अपनी बहू के साथ किस बात को लेकर विवाद था?
उत्तर – मंगम्मा को अपनी बहू के साथ स्वतंत्रता की होड़ के कारण विवाह था। वह चाहती थी की बहू उसकी अनुसार चले उसके पति को जन्म देने वाली तथा लालन-पालन करने वाली वही है, इसलिए बहू का उसे पर कोई हक नहीं है जबकि बहू का मानना था कि वह मेरा पति, रक्षक तथा मेरा सहारा है इसलिए पति पर मेरा पूरा हक है। साथ ही मंगम्मा पोता पर भी अपना ही हक मानती थी इसलिए जब कभी बहु पुत्र की शैतानी पर मारपीट करती थी तो मंगम्मा उसका विरोध करती थी तात्पर्य यह है कि मंगम्मा बेटा और पोता पर से अपना अधिकार छोड़ना नहीं चाहती थी। उसका कहना था कि मेरा बेटा मेरा है और मेरा पति मेरा होना चाहिए अधिकार की लड़ाई थी।
प्रश्न 2. रंगप्पा कौन था और वह मंगवा से क्या चाहता था?
उत्तर – रंगप्पा मंगवा के गांव का ही एक शौकीन मिजाज का जुआरी था। वह मंगम्मा से कर्ज मांगता था साथ ही वह मैग्मा के साथ अवैध संबंध बनाना चाहता था।इसलिए वह मंगम्मा का पीछा करता था। उसने अमराई के कुएं के पास उसका हाथ, उसके घर वाले से भी ज्यादा हक के साथ पकड़ लिया था। जिस कारण मंगम्मा को कहना पड़ा “क्या बात है” रंगप्पा! आज बड़े रंग में हो। ऐसा अच्छापान देखने को तुम मेरे घर वाले हो क्या? मंगम्मा के पास कुछ पैसे थे जिसे रंगप्पा किसी तरह से प्राप्त करना चाहता था।
प्रश्न 3. बहू ने सास को मनाने के लिए कौन- सा तरीका अपनाया?
उत्तर- बहु को जब पता चला कि उसकी सास मंगम्मा के गांव के ही रंगप्पा नाम के आदमी को पैसे देने वाली है। तो उसने अपने पुत्र को दादी के पास यह कह कर भेज दिया कि, मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगा। मैं कभी भी अपने मां-बाप के पास नहीं जाऊंगा। बहु जानती थी कि पोता के प्रति मंगम्मा की कमजोरी है।वह उसे चुरा कर मिठाई देती थी। इसलिए बहू ने यह सीख कर भेजो कि माता-पिता ने मुंह मोड़ लिया है ”मैं तो हूं। तुम चिंता मत करो।” कुछ दिन गुजारने के बाद बच्चे ने उसके साथ बेंगलुरु जाने की जिद पकड़ ली। उसी क्षण बहू एवं बेटे ने अपनी गलती स्वीकार कर ली। बहू ने कहा इतनी धूप में इस उम्र में तुम क्यों बाहर जाती हो? भला कितने दिन काम कर सकोगी। घर में ही खाना पीना बनाकर मालकिन की तरह रहो। दही बेचने का काम में देख लेती हूं। इसी प्रकार बहू ने अपने पुत्र को उसके पास भेज कर उसे मनाने का तरीका अपनाया।
प्रश्न 4. इस कहानी का कथावाचक कौन है? उसका परिचय दीजिए।
उत्तर- प्रस्तुत कहानी का कथावाचक श्रीनिवास जी हैं जिनका पूरा नाम मस्ती वेंकटेश अयंगर है।इनका जन्म कर्नाटक प्रांत के कोलार नामक स्थान में 6 जून 1891 ईस्वी में हुआ था। श्रीनिवास कन्नड़ साहित्य के प्रतिष्ठित रचनाकारों में अत्यंत अन्यतम माने जाते थे। इन्होंने साहित्य के विभिन्न विधाओं कविता, नाटक, आलोचना, जीवन- चरित्र आदि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।साहित्य अकादमी ने उनके कहानी – संकलन को पुरस्कृत किया है। दही वाली मंगम्मा कहानी कन्नड़ कहानी (नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया) से सांभर ली गई है। इस कहानी के अनुवादक बी.आर. नारायण है।
प्रश्न 5.मंगम्मा का चरित्र चित्रण करें।
उत्तर-मंगम्मा इस कहानी की नायिका है जो पति द्वारा अपेक्षित रही। है वह विधवा है और दही बेचकर परिवार का भरण – पोषण करती है। वह खुले दिल की है। वह अपना हर अनुभव या सुख-दुख लेखक की पत्नी को सुनती रहती है। वह कर्मनिस्ट एवं व्यवहार कुशल नारी है।उसका पति दूसरी औरतों के पीछे लग रहा था। फिर भी उसकी परवाह किए बगैर पत्नी का दायित्व निभाती रही। वह स्वतंत्रता प्रिय थी।परिवार पर अपना वर्चस्व रखना चाहती थी जिस कारण बस बहु से विरोध का सामना करना पड़ता था।