संस्कृत (पीयूषम भाग -2) पाठ – 1.’मंगलम्’

प्रश्न 1. ‘मंगलम्’ पाठ के आधार पर सत्य का स्वरूप बतायें । [2019AI, 2024AI
उत्तर- सत्य की महत्ता का वर्णन करते हुए महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि हमेशा सत्य की ही जीत होती है । मिथ्या कदापि नहीं जीतता । सत्य से ही देवलोक का रास्ता प्रशस्त है। मोक्ष प्राप्त करने वाले ऋषि लोग सत्य को प्राप्त कर ही देवलोक जाते हैं, क्योंकि देवलोक सत्य का खजाना है ।

 प्रश्न 2. महान् लोग संसार रूपी सागर को कैसे पार करते हैं ?[2019AII]
उत्तर- संसार में सत्य की ही जीत होती है और ईश्वर की प्राप्ति सत्य की आराधना से ही होती है । इसलिए महान् लोग सत्य मार्ग का अनुकरण कर संसाररूपी सागर को पार करते हैं

प्रश्न 3. नदी और विद्वान् में क्या समानता है ?[2020AI]
उत्तर- जिस प्रकार प्रवाहित नदियाँ समुद्र में मिलकर उसका आकार ग्रहण कर लेती है । उस प्रकार विद्वान् ईश्वर के दिव्य प्रकाश में मिलकर जीव योनि से मुक्त हो जाते  हैI

प्रश्न 4. आत्मा का स्वरूप कैसा है ? वह कहाँ रहती है ?[2020AII, 2021AI, 2023AII]
उत्तर- आत्मा का स्वरूप अणु से सूक्ष्म एवं महान् से भी महान है। आत्मा प्राणी के हृदय रूपी गुफा में रहती है ।

प्रश्न 5. विद्वान परमात्मा के पास क्या छोड़कर जाते हैं ? [2021AIJ
उत्तर -विद्वान् मोह-माया त्यागकर यानी सर्वस्व न्योछावर कर परमात्मा के पास जाते हैं ।

प्रश्न 6. विद्वान् मृत्यु को कैसे पराजित करते हैं ?[2022AI]
उत्तर- महान् पुरुष अपने को अज्ञानी और दूसरों को ज्ञानी समझकर मृत्यु.को पराजित कर देते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि इस संसार रूपी सागर को पार करने का कोई दूसरा मार्ग नहीं है ।

प्रश्न 7. ‘मङ्गलम्’ पाठ का पाँच वाक्यों में वर्णन करें [2022AII]
उत्तर—इस पाठ में चार मंत्र क्रमशः ईशावास्य, कठ, मुण्डक तथा श्वेताश्वतरनाम उपनिषदों से संकलित है। ये मङ्गलाचरण के रूप में पठनीय है। इन्हें पढ़नेसे परम सत्ता के प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती है, सत्य की अन्वेषण की प्रकृति होतीbहै तथा आध्यात्मिक खोज की उत्सुकता होती हैं । उपनिषद् ग्रन्थ विभिन्न वेदों से सम्बद्ध है I

प्रश्न 8. नदियाँ समुद्र में कैसे मिलती है ?[2022AII]
उत्तर- बहती हुई नदियाँ अपना नाम और रूप को त्याग कर समुद्र में मिल जाती है । उसी प्रकार विद्वान् अपने नाम और रूप को त्याग कर परम दिव्य पुरुष को प्राप्त कर जाते हैं ।

प्रश्न 9. विद्वान (ब्राह्मण) को कैसे प्राप्त करते हैं [2022C]
उत्तर – मुण्डकोपनिषद् में महर्षि वेदव्यास ने श्रेष्ठ पुरुष अर्थात् ब्राह्मण को प्राप्त करने के उपाय बताये हैं। वे कहते हैं कि जिस प्रकार बहती हुई नदियाँअपने वास्तविक नाम को त्याग कर सागर में समाहित हो जाती है, उसी प्रकार विद्वान अपने नाम को त्यागकर श्रेष्ठ पुरुष को अर्थात् ब्राह्मण को प्राप्त कर लेता है ।इस प्रकार संसार के आवागतुन के बंधन से मुक्त हो जाता है

प्रश्न 10. उपनिषद् में किसका वर्णन है।[2024AII]
उत्तर – यह वैदिक वाङ्मय का अभिन्न अंग है। उपनिषद् में दर्शनसिद्धां तों का वर्णन है । सभी जगह परमात्मा का गुणगान किया गया है । इसमें उन्हें सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक, सत्यस्वरूप और हमेशा विद्यमान रहने वाला कहा गयाहै । परमात्मा के द्वारा ही संसार व्याप्त और अनुशंसित है । सत्य की पराकाष्ठा ही ईश्वर का मूर्तरूप है । ईश्वर ही सभी तपस्याओं का परम लक्ष्य है

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