संस्कृत (पीयूषम भाग -2) पाठ – 6.भारतीयसंस्काराः

प्रश्न 1. संस्कार कितने प्रकार के होते हैं? विवाह संस्कार का वर्णन करे।
उत्तर- संस्कार सोलह हैं। विवाह संस्कार के उपरांत ही मनुष्य वस्तुतःअर्मकाण्ड होते हैं। उनमें वाग्दान (वचनबद्धता), मण्डप निर्माण (मँडवा), वधू वाणिग्रहण (हाथ देना), लाजाहोम (धान के लावे से हवन), सप्तपदी (सातघर पर वरपक्ष का स्वागत, वर-वधू का परस्पर निरीक्षण, कन्यादान, अग्निस्थापना, वचनों से फेरे), सिन्दूरदान इत्यादि होते हैं। सभी जगह प्राय: विवाह-संस्कार काहोता है। तदनन्तर गर्भधान इत्यादि संस्कार पुनरावृत्त होकर जीवनक्रम है। मरण के अनन्तर अन्त्येष्टि संस्कार अनुष्ठित होता है । इस प्रकारbआयोजनभारतीय दर्शन कामहत्वपूर्ण स्रोत-स्वरूप संस्कार है

प्रश्न 2. विवाह संस्कार में कौन-कौन से मुख्य कार्य किये जाते हैं ?अथवा,[2015AI] अथवा विवाह संस्कारों में होनेवाले कर्मकांडों के बारे में लिखें। [2023AI]
उत्तर- विवाह संस्कार से वस्तुतः मनुष्य गृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है।इस संस्कार के अन्तर्गत निम्नलिखित कर्मकाण्ड होते हैं-वाग्दान, मण्डपनिर्माण, लाजाहोम, सप्तपदी, सिन्दूरदान इत्यादि । ये सभी कार्य प्राय: समान रूप से विवाह वरपक्ष स्वागत, वर-वधु परस्पर निरीक्षण, कन्यादान, अग्निस्थापना, पाणिग्रहण,

प्रश्न 3. शैक्षणिक संस्कार कौन-कौन से है ? संस्कारों में होते हैं।[2014C, 2018AI, 2021AII, 2024AI]
उत्तर- शिक्षा संस्कारों में अक्षरारम्भ, उपनयन, वेदारंभ, मुण्डन संस्कार औरसमापवर्तन संस्कार आते हैं। अक्षरारंभ में बच्चा अक्षर लिखना और अंक आरंभ करता है। उपनयन संस्कार में गुरू के द्वारा शिष्य को अपने घर में लाना होता था ।वहाँ शिष्य शिक्षा के नियमों का पालन करते हुए अध्ययन करते थे। गुरू के घरमें ही शिष्य वेद पढ़ना प्रारंभ करते थे। मुण्डन संस्कार गुरू के घर में किया जाता। समापवर्तन संस्कार का उद्देश्य शिष्य का गुरू के घर से गृहस्थ जीवन में प्रवेश कराना होता है।

प्रश्न 4. संस्कार कितने प्रकार के और कौन-कौन-से होते हैं ?[2017AI]
उत्तर-संस्कार सोलह प्रकार के हैं। इन सोलह संस्कारों को मुख्य पाँच प्रकारों में बाँटा गया है। तीन जन्म से पूर्व वाले संस्कार, छह शैशव संस्कार, पाँच शिक्षा-संबंधी संस्कार, एक विवाह के रूप में गृहस्थ संस्कार तथा एक मृत्यु केbबाद अन्त्येष्टि संस्कार ।

प्रश्न 5. केशान्त संस्कार के गोदान संस्कार भी कहा जाता है, क्यों ?[2018AII]अथवा, केशान्त संस्कार का वर्णन करें ।[2021AI, 2023AI]
उत्तर-केशान्त संस्कार में गुरूगृह में ही सर्वप्रथम क्षौरकर्म (मुण्डन) होता था। यहाँ गौदान मुख्य कर्म होता था । इसलिए साहित्य ग्रंथों में केशान्त संस्कार को गोदान संस्कार भी कहा जाता था ।

प्रश्न 6. सभी संस्कारों के नाम लिखें । [2018C]अथवा, संस्कारों को कितने भागों में विभाजित किया गया है ? उनकेनाम लिखें ।[2022C, 2024AII]
उत्तर- भारतीय संस्कृति में मनुष्य का सोलह संस्कार किया जाता है जो इस प्रकार से है-(i) गर्भधान संस्कार, (ii) पुंसवन संस्कार, (iii) सीमन्तोन्नयन संस्कार,(iv) जातकर्म संस्कार, (v) नामकरण संस्कार, (vi) निष्क्रमण संस्कार,(vii) अन्नप्राशन संस्कार, (viii) मुंडन संस्कार, (ix) विद्या आरम्भ संस्कार, (x) कर्ण वेध संस्कार, (xi) उपनयन संस्कार, (xii) वेदारम्भ संस्कार, (xiii) केशान्त संस्कार, (xiv) समावर्तन संस्कार, (xv) विवाह संस्कार, (xvi) अंत्येष्टी संस्कार ।

प्रश्न 7. जन्मपूर्व व मरणोपरांत कौन-कौन से संस्कार होते हैं ? 12019C
उत्तर- जन्मपूर्व संस्कार तीन हैं-गर्भाधान, पुंसवन और सीमन्तोनयन । मरणोपरांतअन्त्येष्टि संस्कार का अनुष्ठान होता है ।

प्रश्न 8. गुरू के द्वारा शास्त्र का क्या लक्ष्य बतलाया गया है ?[2019AH]
उत्तर- मनुष्य को जिससे सांसारिक विषयों में अनुरक्ति अथवा विरक्तिअथवा मानवरचित विषयों का उचित ज्ञान मिलता है, उस धर्मशास्त्र कहा जाता है। तात्पर्य यह कि जिस शास्त्र से ग्रहणीय एवं त्याज्य अर्थात् किस आचरण को अपनाया जाए तथा किसे त्याग किया जाए तथा मानव रक्त है । अत: धर्मशास्त्र से हमें सत्य-असत्य की सभी जानकारीप्रश्न

 प्रश्न 9. शैशव संस्कारों पर प्रकाशडालें।12019A1, 2021AI|
उत्तर- भारतीय संस्कृति के अनुसार संस्कार को पाँच भागों में विभाजितकिया गया है। शैशव संस्कार जो कि दूसरा भाग है । इस संस्कार के तहत जातकर्म, नामकरण, बाहर निकालना, अन्न ग्रहण, चूडाकर्म, कर्णवेध आदिसंस्कार को सम्पन्न किया जाता है।

प्रश्न 10. मनुष्य के जीवन में संस्कारों की क्या उपयोगिता हैं ?[2020A1]
उत्तर- हमारे जीवन में संस्कार का व्यापक महत्व है। प्राचीन संस्कृति काज्ञान संस्कार से होता है। सभी संस्कार मानव के अवगुणों को शुद्ध करने में, दोषों को दूर करने में और गुणों को ग्रहण करने में योगदान करते हैं। मुख्य अवसरों परसंस्कार मनुष्य को अनुशासित करता है।

प्रश्न 11. संस्कार का मूल अर्थ क्या है ?[2019C, 2020AI, 2022AII]
उत्तर- संस्कार का मौलिक अर्थ परिमार्जन रूप और गुणाधान रूप है ।

प्रश्न 12. गर्भाधान संस्कार का प्रयोजन क्या है ?[2020A1)
उत्तर- गर्भाधान संस्कार का प्रयोजन गर्भरक्षा के लिए होता है।

प्रश्न 13. समावर्तन संस्कार का वर्णन करें । [2022AIJ
उत्तर- समापवर्तन संस्कार का उद्देश्य शिष्य का गुरू के घर से अलग होकरगृहस्थ जीवन में प्रवेश करना होता था । शिक्षा की समाप्ति पर गुरू अपने शिष्यों को उपदेश देकर घर भेजते थे । उपदेशों में प्रायः जीवन के कर्तव्यों को बताया.जाता था, जैसे-सत्य बोलो, धर्म का आचरण करो, अपने अध्ययन से प्रमाद मतकरो तथा अपने कर्तव्य से भी च्युत नहीं रहो ।

प्रश्न 14. विवाह संस्कार में कौन-कौन से कर्मकाण्ड किए जाते हैं ?[2022AI, 2023AI, 2024AII]
उत्तर- विवाह संस्कार एक पवित्र संस्कार माना जाता है । क्योंकि इसी संस्कार से लोग गृहस्थ जीवन में प्रवेश करते हैं। इस संस्कार में अनेक प्रकार के कर्मकाण्ड होते हैं। इसमें वाग्दान, मण्डप निर्माण, वधूगृह में वरपक्ष का स्वागत,वर-वधू का परस्पर निरीक्षण, कन्यादान, अग्निस्थापन, पाणिग्रहण, लाजाहोम,सिन्दूरदान इत्यादि कई कर्मकाण्ड शामिल हैं। सभी जगह प्रायः एकसमान विवाहसंस्कार का आयोजन होता है ।

प्रश्न 15. उपनयन संस्कार का वर्णन करें ।
उत्तर – उपनयन संस्कार शिक्षा संस्कार के अन्तर्गत आता है। जिसमें गुरू केद्वारा शिष्य को अपने घर से ले जाना होता है, जहाँ शिष्य शिक्षा नियमों का पालन करते हुए अध्ययन करता है ।

प्रश्न 16. प्राचीन काल में शिष्य को ब्रह्मचारी क्यों कहा जाता था ?[2022C
उत्तर – शिक्षा संस्कारों में अक्षराम्भ, उपनयन, वेदारम्भ, केशान्त और समापवर्तनसंस्कार होते हैं। अक्षराम्भ में अक्षर-लेखन और अंक लेखन बच्चा आरंभ करता । उपनयन संस्कार का अर्थ गुरु के द्वारा शिष्य को अपने घर में लाना होता है ।वहाँ शिष्य शिक्षा-नियमों का पालन करते हुए अध्ययन करते थे । वे सब नियम ब्रह्मचर्य व्रत में समाहित हैं। इसलिए प्राचीन काल में शिष्य ब्रह्मचारी कहे जाते थे ।

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