Chapter 4 जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन |
जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन
लघु उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- किसी भी प्रकार की आपदा से जीवन की रक्षा करना ‘जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन’ कहा जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य आगत आपदा से बचाव करना होता है। आकस्मिक प्रबंधन किसी संस्था की सफलता की कसौटी नहीं है क्योंकि इस समय जिससे जो बन पड़ता है करने का प्रयास करता है और आपदा प्रस्त लोगों की मदद करता है। यह मदद की प्राथमिक अवस्था है।
प्रश्न 2. बाढ़ की स्थिति में अपनाये जाने वाले आकस्मिक प्रबंधन का संक्षेप में वर्णन कीजिए ।
उत्तर- बाद की स्थिति में अपनाए जाने वाले आकस्मिक प्रबंधन जान-माल तथा मवेशियों की सुरक्षा प्रदान करता है न कि बाढ़ को रोकता है। बाढ़ को रोकने की प्रक्रिया तो बाढ़ आने के पहले की है। अब तो जैसे भी है बह रहे मनुष्यों और मवेशियों को बचाने की प्राथमिकता होनी चाहिए। बचे हुए लोगों और मवेशियों को ऊँचे-स्थानों पर पहुँचा कर उनके रहने और खाने पीने की व्यवस्था करनी पड़ती है। यदि किसी को चिकित्सा सुविधा चाहिए तो उसे मुहैया कराना पड़ता है।
प्रश्न 3. भूकंप एवं सुनामी की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन की चर्चा संक्षेप में कीजिए ।
उत्तर- भूकंप एवं सुनामी, दोनों ही स्थितियों में बचे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाना होता है। सर्वप्रथम राहत कैंपों की व्यवस्था हो जहाँ इन्हें रखा जा सके। वहाँ उनके ठहरने, खाने-पीने के साथ-साथ चिकित्सा की व्यवस्था भी रहे। भूकंप में मलवे में दबे लोगों को निकालना पड़ता है, जबकि सुनामी में बह रहे लोगों को बचाना पड़ता है। सुनामी ग्रस्त बहुत लोग नारियल के वृक्ष पर लटक कर जान बचाते हैं, उन्हें सुरक्षित उतार कर राहत कैम्प में पहुँचाना पड़ता है।
प्रश्न 4. आकस्मिक प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन की भूमिका का वर्णन कीजिए ।
उत्तर- आकस्मिक प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन की भूमिका महत्त्वपूर्ण ही नहीं, अति आवश्यक भी है। कारण है कि स्थानीय लोग निर्वाचित रहते हैं और वे स्थाने विशेष के चप्पे-चप्पे से वाकिफ रहते हैं। स्थानीय प्रशासन के लोगों को चाहिए कि वे राहत शिविरों का निर्माण करें। राहत शिविरों में बचाव के लिए सभी समानों का रहना आवश्यक है। भोजन-पानी से लेकन चिकित्सा आदि की भी व्यवस्था रहनी चाहिए। केवल दिखावा के लिए काम नहीं, काम के लिए काम हो। इस प्रकार स्थानीय प्रशासन यदि चाहे तो बहुत कुछ कर सकता है।
प्रश्न 5. आग लगने की स्थिति में क्या प्रबंधन करना चाहिए? उल्लेख करें ।
उत्तर- आग लगने की स्थिति में सर्वप्रथम अग्निशामक यंत्र वालों को बुलाने का प्रबंध करना चाहिए। अग्नि शामक यंत्र के आने तक निकट में रखे बालू, कुएँ और तालाबों से जल निकाल कर आग को बुझाने का प्रयास करना चाहिए, ताकि आग अधिक फैले नहीं। आग में फँसे लोगों को बाहर निकालने का प्रयास होना चाहिए। जो लोग जल चुके हैं उनके जले भाग पर जल्दी से ठंडा पानी डालना तथा बर्फ से सहलाना चाहिए। तत्पश्चात बनोल का लेप लगाना चाहिए। अधिक जले लोगों को यथाशीघ्र निकट के अस्पताल में पहुँचा देना चाहिए।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. जीवनरक्षक आकस्मिक प्रबंधन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- जीवनरक्षक आकस्मिक प्रबंधन से तात्पर्य है कि आपदा की घड़ी में जीवन रक्षा का उपाय किया जाय। आकस्मिक प्रबंधन किसी प्रशासन की सफलता की कसौटी है। इसके अंतर्गत आपदा के आते ही प्रभावित लोगों को आपदा से निजात दिलाना प्रथम और प्रमुख उद्देश्य होता है। बाढ़ की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन का तरीका अलग है जबकि भूकंप एवं सुनामी की स्थिति में आकस्मिक प्रबंध का तरीका अलग है।
(i) बाढ़ की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन— बाढ़ आने पर पहली प्राथमिकता लोगों और मवेशियों को बचाना होना चाहिए। लोगों को नाव पर बैठाकर या तैराकों की मदद से बहते लोगों को किनारे पर पहुँचाना होता है। पुनः उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाना होता है। उसके बाद घर में बच रही सम्पत्ति के साथ मवेशियों को निकालने को प्राथमिकता देनी चाहिए। सुरक्षित स्थान गाँव के बाहर रेलवे लाइन, सड़क या तटबंध हो सकते हैं। लोगों और मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचा कर उनके भोजन पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। मवेशियों के लिए चारे की व्यवस्था की जाय। बाढ़ के कारण विषैले जन्तु भी ऊँचे स्थानों की खोज में बिल बिलाते रहते हैं। उनसे भी बचाव का प्रबंध होना चाहिए। बाढ़ का पानी उतर जाने के बाद कुँओं के जल को शुद्ध करना तथा यत्र-तत्र ब्लिचिंग पाउडर का छिड़काव होना चाहिए। इतना हो जाय तो उसे सफल प्रबंधन मानना चाहिए।
(ii) भूकंप की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन-भूकंप के बाद तीन कामों पर ध्यान भी दिया जाता है। वे हैं : बचे हुए लोगों को राहत कैंप में ले जाना और उनकी प्रारंभिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना, मलवे में दबे लोगों को निकलना तथा मृत लोगों और पशुओं को जमीन में गाड़ देना या जला देना। महामारी फैलने की आशंका पर उसे रोकने का प्रबंध करना । (iii) सुनामी की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन -सुनामी की स्थिति में बह रहे लोगों को बचाना और उन्हें राहत शिविरों में पहुँचना पहला काम होना चाहिए। जो लोग मृत्यु को प्राप्त हो गए हो उन्हें उचित क्रिया द्वारा उनकी लाश को निबटाना। बचे हुए लोगों को भोजन-पानी का प्रबंध करना।
प्रश्न 2. आकस्मिक प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन एवं स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका का विस्तार से उल्लेख कीजिए।
उत्तर- जिस प्रकार स्थानीय प्रशासन में स्थानीय लोग रहते हैं वैसे ही स्वयं सेवी संस्थाओं में भी स्थानीय लोग ही रहते हैं। इन लोगों को मालूम रहता है कि किस आपदा में कैसा प्रबंधन किया जाय। उस क्षेत्र के चप्पा-चप्पा से वे परिचित होते हैं। उन्हें मालूम रहता है कि कहाँ पर अधिक लोग फँसे होंगे और उन्हें कहाँ पहुँचाया जाय, जिससे वे सुरक्षित रह सके। उनको मदद पहुँचाना भी उनके लिए आसान होता है। ये काम केवल युवक ही कर सकते हैं।
अतः उन्हीं को आगे रखना चाहिए। बल्कि युवकों को पहले से ही प्रशिक्षित करके रखा जाय तो और भी आसानी होगी। स्वयंसेवी संस्थाओं के युवकों को आपदा प्रबंधन को अपनी जीवनचर्या का एक अंग समझना चाहिए। स्वयंसेवी संस्था गाँव के युवकों और वहाँ का स्थानीय प्रशासन जैसे ग्राम पंचायत के प्रबंधन के बीच समन्वय होना चाहिए। तभी वे आकस्मिक प्रबंधन में सफल हो सकते हैं। ऐसे प्रबंधन में जाति और धर्म से ऊपर उठकर काम करना चाहिए। मिलजुल कर आपदा से लड़ने का संदेश देश भर में फैलाना चाहिए। यह संदेश विद्यालय के छात्रों द्वारा आसानी से फैलाया जा सकता है। स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे राहत शिविरों की स्थापना करे। वहाँ राहतन के सभी उपकरण तथा प्राथमिक उपचार के सामान रहने चाहिए। एम्बुलेंस तथा चिकित्सकों तथा अग्निशामक यंत्रों को सदैव तत्पर रहना चाहिए