Chapter 6 आपदा और सह – अस्तित्व |
आपदा और सह-अस्तित्व
लघु उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. भूकंप के प्रभावों को कम करने के लिए किन्हीं चार उपायों को लिखिए ।
उत्तर- भूकंप के प्रभावों को कम करने के प्रमुख चार उपाय हैं : (i) भवन को आयताकार बनाया जाय और नक्शा साधारण हो । ।(ii) लम्बी दीवारों को सहारा देने के लिए कंक्रीट का ‘कलम’ होने चाहिए। (iii) नींव मजबूत तथा भूकंप रोधी होनी चाहिए। (iv) दरवाजे तथा खिड़कियों की स्थिति भूकंप अवरोधी होनी चाहिए ।
प्रश्न 2. सुनामी सम्भावित क्षेत्रों में गृह निर्माण पर अपना विचार प्रकट कीजिए ।
उत्तर- प्रायः जहाँ सुनामी की लहरें आती हों या सुनामी वाले क्षेत्रों की आशंका हो, वहाँ गृह निर्माण तट से दूर ऊँचे स्थानों पर किया जाय। सुनामी आशंकित क्षेत्रों में ऐसे मकान बनवाए जायँ जो भूकंप एवं सुनामी लहरों के प्रभाव को कम कर सकते हों। सुनामी की आशंका वाले तटीय क्षेत्रों में मकान ऊँचे स्थानों पर और तट से कम-से-कम एक सौ मीटर दूर हों ।
प्रश्न 3. सूखे की स्थिति में मिट्टी की नमी को बनाए रखने के लिए आप क्या करेंगे?
उत्तर- सूखे की स्थिति में यदि मिट्टी में नमी रहती भी है, वह तेज धूप के कारण सूख कर नमी रहित हो जाती है । इसके बचाव के लिए आवश्यक है कि नमी को सूखने से बचाने के लिए भूमि पर घास का आवरण अवश्य रहे । नदी की दोणी में वृक्षारोपण भी नमी को सूखने से बचाता है । न केवल बचाता है, वह बादलों को आकर्षित कर वर्षा भी करा देता है। खेतों में ऐसी फसलें लगाई जायँ जो कम पानी में भी उपज सकें। इसके लिए कृषि विभाग से सम्पर्क साधा जाय।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. भूस्खलन अथवा बाढ़ जैसी प्राकृतिक विभिषिकाओं का सामना आप किस प्रकार कर सकते हैं? विस्तार से लिखिए। जा सकता है :
उत्तर- भूस्खलन जैसी प्राकृतिक विभिषिका का सामना निम्नलिखित प्रकार से किया।
(i) मिट्टी की प्रकृति के अनुरूप मकानों की नींव रखी जाय।
(ii) ढालुओं जमीन पर मकानों को हर्गिज नहीं बनवाया जाय।
(iii) वनस्पति विहिन ढालों पर वृक्षों का सघन रोपन किया जाय।
(iv) सड़कों, नहरों एवं सिंचाई व्यवस्था के क्रम में इस बात का पूरा ध्यान रखा जाय कि प्राकृतिक जल की निकासी रुके नहीं।
(v) भूस्खलन रोकने के लिए पुख्ता दीवारों का निर्माण कराया जाय।
(vi) वर्षा जल और झरनों के प्रवेश सहित भूस्खलनों के संचलन पर काबू पाने के लिए समतल जल निकासी नियंत्रण केन्द्र बनाया जाय।
(vii) भू–स्खलन आशंकित क्षेत्रों में जमीन पर न्यूनतम एक इंच की गहराई तक घास- पात, लकड़ी का छीजन, पेड़ों की छाल वैसे क्षेत्रों में बिछाया जाय जहाँ ढ़ाल मन्द इन उपायों के अलावे खड़ी ढालों पर बने मकान के मालिक कुछ स्थितियों में ऐसे अवरोधक या जल ग्रहण क्षेत्र का निर्माण कर सकते हैं। ऐसा उपाय छोटे-छोटे भूस्खलन को राकेने में सहायक हो सकता है। इन अवरोधकों के ढलान वाली दिशा में कंक्रीट की मजबूत दीवार बनाई जा सकती है